Pulse Polio: साल 2014 के बाद देश में पोलियो का एक भी केस नहीं देखा गया है। भारत ने पोलियो और चेचक के खिलाफ ऐसी लड़ाई लड़ी है जिसकी मिसाल दुनियाभर में दी जाती है। साल 2010 में भारत में पोलियो के 43 केस थे। पर ये आंकड़ा भारत के लिए बहुत अधिक था क्योंकि दुनिया से पोलियो का नामोनिशान खत्म हो गया था। पोलियो खत्म होने के बाद भी भारत पोलियो के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। हर साल फरवरी से मार्च तक पोलियो पल्स दिवस मनाया जाता है, जिसमें टीकाकरण अभियान को बढ़ावा दिया जाता है।
Pulse Polio की शुरुआत

बता दें कि भारत से पोलियो तो खत्म हो गया है लेकिन अफगानिस्तान – पाकिस्तान में अभी भी पोलियो के वायरस हैं। यह पोलियो वायरस इन देशों से आने वाले वयस्कों के माध्यम से आसानी से भारत में प्रवेश कर सकता है। यही कारण है कि भारत में पोलियो के खिलाफ युद्ध पर विराम नहीं लगाया गया है।
इसी कड़ी में 26 फरवरी को स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बच्चों को पोलिया का टीका देते हुए राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान के तहत पोलियो राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस की शुरुआत की। इसके साथ ही उन्होंने पांच साल से कम उम्र के बच्चों को पोलियो की दवा दी। बता दें कि पूरे देशभर में 27 फरवरी से हर जिले में पल्स पोलियो अभियान की शुरुआत की जाएगी। इसके तहत पांच साल से कम उम्र के बच्चों को पोलिया का टीका दिया जाएगा।
Pulse Polio युद्ध

सरकार ने देश से पोलियो को खत्म करने के लिए 24 लाख पोलियो कार्यकर्ता, 1.5 लाख कर्मचारी, सालाना 1000 करोड़ रुपये का बजट, सालान 6 से 8 बार पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम, हर कार्यक्रम में 17 करोड़ बच्चों के टीका दिया जाता था।
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