होने दो चराग़ाँ महलों में क्या हम को अगर दीवाली है
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम मज़दूर की दुनिया काली है
शायर जमील मज़हरी का यह शेर मजदूरों के जीवन के अंधेरे को बयान करता है। अपनी पूरी जिंदगी इमारतें,सड़क, पुल और ऐसी ही न जानें कितनी चीजें बनाने में श्रमयोगी लगा देता है लेकिन जब वह बुढ़ापे की दहलीज पर कदम रखता है तो उसके पास बचत के नाम पर कुछ नहीं होता। अमूमन मजदूर अपने शरीर से किए परिश्रम से जो मजदूरी हासिल करते हैं उसके सिवाय उनके नसीब में कुछ नहीं आता। देश के संविधान में शामिल नीति निदेशक तत्व भी कहते हैं कि राज्य यानी सरकार सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ प्रावधान करे। सामाजिक सुरक्षा की बात छिड़ती है तो प्रोविडेंट फंड का जिक्र होना लाजमी है। भविष्य निधि जिसे ज्यादातर लोग प्रोविडेंट फंड या पीएफ के नाम से जानते हैं, एक ऐसी बचत योजना है जिसका उद्देश्य कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद लाभ देना है। इस योजना के तहत नियोक्ताओं और कर्मचारियों द्वारा एक निश्चित अवधि के दौरान कर्मचारी के फंड में पैसा जमा किया जाता है।
कानून की धज्जियां उड़ाती सरकारी कंपनियां
अपने कर्मचारियों को प्रोविडेंट फंड देने की जब बात आती है तो निजी संस्थान तो छोड़िए सरकारी संस्थान भी इसे धता बता देते हैं। इसकी ही एक बानगी है NHIDCL, NHIDCL भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की कंपनी है। जिसकी स्थापना 18 जुलाई को कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के रूप में हुई थी। यह कंपनी देश में 1,15,000 किमी में से 10,000 किमी से अधिक राष्ट्रीय राजमार्गों के नेटवर्क के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। कंपनी के मुताबिक यह 18 हजार करोड़ से ऊपर के 81 प्रोजेक्ट पूरा कर चुकी है और इस समय एक लाख करोड़ से ऊपर के 248 प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। लेकिन फिर भी इसके अंतर्गत काम करने वाले बहुत से लोगों को पीएफ की सुविधा नहीं मिलती है।
सूत्रों के मुताबिक NHIDCL ने हाल ही में अपने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को सभी कर्मचारियों चाहे वह ठेका मजदूर ही क्यों न हों, को भविष्य निधि (PF) का लाभार्थी बनाने के लिए कहा है। ऐसा तब हुआ है जब NHIDCL श्रम मंत्रालय के एक आदेश से होश में आया। जिसके बाद कंपनी ने सभी पंजीकृत कर्मचारियों और ठेके पर काम कर रहे सभी कर्मचारियों के लिए प्रोविडेंट फंड दिए जाने के संबंध में आदेश जारी किया। आदेश में कहा गया है कि NHIDCL के लिए काम कर रहे कई ठेकेदारों ने ईपीएफओ में खुद को रजिस्टर नहीं कराया और न ही वे नियमित रूप से कर्मचारियों के खाते में भविष्य निधि जमा करते हैं। इस संबंध में NHIDCL के लिए काम करने वाले सभी कंपनियों की सूची मांगी गई है जो कि ईपीएफओ में पंजीकृत हों। NHIDCL को इन कंपनियों के ईपीएफ कोड भी मंत्रालय को बताने होंगे।
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NHIDCL ने अपने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों से कंपनियों से इस बारे में भी जानकारी देने को कहा है कि हर महीने वह कितने कमर्चारियों से काम ले रही हैं और उनके खाते में कितनी निधि जमा कर रही हैं। दरअसल श्रम मंत्रालय ने NHIDCL को एक आदेश जारी किया था कि वे सभी कर्मचारियों के लिए भविष्य निधि समेत अन्य सुविधाओं को लागू करवाएं। मंत्रालय ने कहा था कि चूंकि कर्मचारी का मुख्य नियोक्ता NHIDCL है इसलिए वह सभी कर्मचारियों के लिए भविष्य निधि को लागू करवाए। जिसके बाद NHIDCL ने यह एक्शन लिया। बता दें कि 15000 रुपये से कम के मासिक वेतन वाले कर्मचारियों को EPF & MP Act, 1952 और Contract Labour Regulation and Abolition Act 1970 के तहत कर्मचारी भविष्य निधि की सभी सुविधाएं दिए जाने का प्रावधान है।
अब सोचने वाली बात ये है कि बिना इसे सुनिश्चित किए NHIDCL ने किसी भी कंपनी को ठेका क्यों दिया? यहां गौर करने लायक बात ये है कि किसी भी सरकारी निविदा के तहत काम हासिल करने के लिए किसी भी कंपनी के लिए अपने मजदूरों बीमा या अन्य कवरेज देना एक अनिवार्य मानक है। आपको बता दें कि पिछले साल नवंबर में उत्तरकाशी में जो सुरंग हादसा हुआ था। जिसमें कि 41 मजदूर फंस गए थे। वह काम भी NHIDCL द्वारा करवाया जा रहा था। 12 नवंबर, 2023 को उत्तराखंड में ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिल्क्यारा-दंदालगांव सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था। जिससे 41 मजदूर अंदर फंस गए थे। उनकी किस्मत अच्छी थी और सभी बच गये। 12 नवंबर को जिस समय हादसा हुआ और मजदूर सुरंग में फंसे उस समय उनमें से 6 मजदूरों को छोड़कर कोई भी मजदूर कर्मचारी भविष्य निधि का सदस्य नहीं था। आनन फानन में मजदूरों के सुरंग में फंसे होने के दौरान 15 नवंबर से 23 नवंबर के बीच 26 मजदूरों को कर्मचारी भविष्य निधि का लाभार्थी बनाया गया था।
भविष्य निधि पाने की पात्रता
आपको बता दें कि किसी भी संस्था के सभी कर्मचारी पीएफ का लाभ उठाने के पात्र होते हैं। कर्मचारी को जॉइन करने के समय भविष्य निधि योजना के लिए अपना नामांकन करवाना होता है। भविष्य निधि खाते में कर्मचारी का अंशदान उसके संस्था में शामिल होने के बाद से ही शुरू हो जाता है। यह अंशदान नियमित तौर पर किया जाता है। कर्मचारी अपने मासिक वेतन का एक छोटा हिस्सा भविष्य निधि के रूप में बचाता है। यदि किसी नियोक्ता के संगठन में 20 से कम कर्मचारी हैं तो उसे ईपीएफ के लिए पंजीकरण करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन वह भी अपने कर्मचारियों को पीएफ का लाभ दे सकता है।
नियोक्ता और PF
आमतौर पर नियोक्ता का योगदान कर्मचारी के वेतन का 12% होता है। कर्मचारी को भी बराबर योगदान देना होता है। नियोक्ता के 12% योगदान में, 8.33% कर्मचारी के लिए पेंशन में जाता है, और 3.67% पीएफ में जाता है। कर्मचारी का पूरा योगदान पीएफ में जाता है। गौरतलब है कि नियोक्ताओं के लिए कानूनन यह अनिवार्य है कि वे पिछले महीने के वेतन भुगतान के 15 दिनों के भीतर कर्मचारियों के पीएफ खातों में काटे गए पीएफ योगदान को जमा करें। पीएफ कटौती को देर से जमा करने पर ब्याज लगा सकता है। भविष्य निधि में कटौती की गई राशि जमा न करने पर जुर्माना लग सकता है। कर्मचारी को नुकसान की वसूली करने का भी अधिकार है।
नियोक्ता पीएफ जमा न करे तो क्या करें?
नियोक्ताओं द्वारा राशि जमा न करने की स्थिति में कर्मचारियों के पास कई विकल्प होते हैं। पीएफ अंशदान जमा न करने पर कर्मचारी नियोक्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं। कर्मचारी पुलिस में आपराधिक मामला दर्ज करा सकते हैं। इन कार्रवाइयों से नियोक्ता को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं, जिनमें तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों शामिल हैं। गंभीर मामलों में, अपराध धारा 409 के अंतर्गत भी आ सकता है, जिसमें जुर्माने के साथ-साथ आजीवन कारावास या दस साल तक की सजा का प्रावधान है।
कितने लोग हैं PF के लाभार्थी?
अब यह सवाल है कि हमारे देश में कितने प्रतिशत लोग इस योजना का लाभ ले रहे हैं? इसके लिए हमें EPFO के बारे में जानना होगा। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी EPFO की स्थापना संसद द्वारा पारित कानून Employee Provident Fund and Miscellaneous Provision Act, 1952 के जरिए की गई थी। इसका उद्देश्य कर्मचारियों के लिए भविष्य निधि संस्था की स्थापना करना था। यह संगठन केंद्रीय श्रम मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है। ईपीएफओ दुनिया के सबसे बड़े सामाजिक सुरक्षा संगठनों में से एक है। वर्तमान में यह अपने सदस्यों से संबंधित 27.74 करोड़ खाते (वार्षिक रिपोर्ट 2021-22) रखता है।
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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की मुख्य तीन योजनाएं हैं:
- EPFO योजना 1952: इस योजना के तहत कर्मचारी और नियोक्ता द्वारा जमा किया जाने वाला अंशदान कर्मचारी के खाते में इकट्ठा होता है। उसे जमा राशि पर ब्याज भी मिलता है। शिक्षा, शादी, बीमारी और घर बनाने के लिए कुछ राशि निकाली जा सकती है। संगठन के सदस्यों को आवासीय योजना का लाभ भी मिलता है।
- पेंशन योजना 1995: पेंशन योजना के तहत रिटायर होने पर हर महीने पेंशन मिलती है।
- बीमा योजना 1976: किसी कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में यह प्रदान किया जाता है। अधिकतम 6 लाख तक की बीमा राशि दी जाती है।
PF को क्यों चुनें?
जो लोग वेतन पाते हैं उनके लिए यह सबसे पसंदीदा निवेश विकल्पों में से एक है। कर्मचारियों को भविष्य निधि पर अच्छा ब्याज मिलता है। ईपीएफ पर आपको मिलने वाला ब्याज और आपकी निकासी दोनों टैक्स फ्री हैं। आप 58 वर्ष की आयु तक अपनी पीएफ राशि पूरी तरह से नहीं निकाल सकते। लेकिन, यदि आप अपनी रिटायरमेंट के करीब हैं और लगातार 60 दिनों तक बेरोजगार हैं, तो आप अपने पीएफ का 90% निकाल सकते हैं।