भारतीय रेल मंत्रालय ने पुराने रेल पटरियों,लगातार कम होती क्षमताओं से निपटने और आधुनिकीकरण के लिए 130 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना तैयार की है। इसके अलावा सुरक्षा के स्तर को सुधारने के लिए भी 15 अरब डॉलर का बजट तय किया गया है। रेल मंत्रालय ने यह फैसला ऐसे समय में किया है जब देश में पिछले दो सालों में रेल हादसों में करीब 25 फीसदी का इजाफा देखा गया है।
ख़बरों के मुताबिक रेल मंत्रालय पटरियों के लिए प्रयोग में आने वाले स्टील की आपूर्ति के लिए अब तक सरकारी क्षेत्र की कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड(सेल) पर निर्भर थी लेकिन सेल रेलवे द्वारा मांग के अनुसार आपूर्ति करने में विफल रही है। मौजूदा वित्त वर्ष में सेल को 8,50,000 टन स्टील रेलवे को देनी थी। इसमें से सेल महज 2,50,000 टन की ही आपूर्ति कर सकी।
आंकड़ों के मुताबिक बीते 10 सालों में यह 8वां मौका है, जब कंपनी निश्चित लक्ष्य के अनुसार आपूर्ति नहीं कर सकी है। सेल के इस रवैये और कम आपूर्ति से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए रेल मंत्रालय अब 700 मिलियन डॉलर तक की वार्षिक खरीदारी के लिए निजी क्षेत्रों का रुख करने की तैयारी में है। अगर सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी देने के साथ निजी क्षेत्र को बढ़ावा देती है तो ऐसे में यह सेल के रेलवे में स्टील सम्बन्धी एकाधिकार को ख़त्म कर सकता है। रेलवे का यह फैसला लगातार सात तिमाही से गिरावट झेल रही सेल के लिए झटका देने वाला हो सकता है।
रेल मंत्रालय ने यह फैसला स्टील की वजह से रुके नेटवर्क सुधारने के काम और योजनाओं में धीमी प्रगति को तेज करने के लिए लिया है। रेलवे में पटरियों को बदलने का काम स्टील की कमी से रुका है जो भारतीय रेल के विकास में बड़ी बाधा है। ऐसे में निजी क्षेत्र से स्टील खरीदने का रेलवे का यह फैसला रेलवे के आधुनिकीकरण और बढ़ावा देने वाला साबित हो सकता है।