राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविता की ये पंक्तियां पढ़ीं। पीएम मोदी ने कहा, एक स्वर ये उठा है कि सरकार को सारे कामों की जल्दी क्यों है? हम सारे काम एक साथ क्यों कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी ने अपनी कविता में लिखा है कि-
लीक पर वे चलें,
जिनके चरण दुर्बल और हारे हैं,
हमें तो जो हमारी यात्रा से बने,
ऐसे अनिर्मित पथ ही प्यारे हैं
इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दाग़ देहलवी का शेर भी पढ़ा। एक शायर ने कहा था-
खूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं,
साहब छुपते भी नहीं, सामने आते भी नहीं।
पीएम मोदी ने कहा, पब्लिक सब जानती है। पिछले दिनों जो वक्तव्य दिए गए, उनका जिक्र सदन में करना उपयुक्त नहीं है। सदन के बड़े-बड़े लोग भी वहां जाते हैं, ये ठीक नहीं हैं।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि दिल्ली में ट्रैफिक, के बीच हजारों ट्रक गुजरते थे। पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे को पूरा करने का 2009 में यूपीए सरकार का संकल्प था। 2014 तक वो कागजों तक ही सीमित रहा। 2014 में आने के बाद हमने मिशन मोड पर काम किया और आज ये काम पूरा हो गया है।
आपातकाल कौन लाया?
न्यायपालिका को किसने रौंदा?
संविधान में सबसे अधिक संशोधन कौन लाया है?
किसने अनुच्छेद 356 को सबसे अधिक लागू किया?
जिन लोगों ने उपरोक्त कार्य किये हैं, उन्हें हमारे संविधान का गहन ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता है।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि कश्मीर भारत का मुकुटमणि है। कश्मीर की पहचान बम, बंदूक और अलगाववाद की बना दी गई थी। 19 जनवरी 1990 की वो काली रात को कुछ लोगों ने कश्मीर की पहचान को दफना दिया था। कश्मीर की पहचान सूफी परंपरा और सर्व पंथ समभाव की है।
महबूबा मुफ्ती जी ने कहा था कि “भारत ने कश्मीर के साथ धोखा किया है। हमने जिस देश के साथ रहने का फैसला किया था, उसने हमें धोखा दिया है। ऐसा लगता है कि हमने 1947 में गलत चुनाव कर लिया था”। संविधान को मानने वाले लोग ऐसी बात को स्वीकार कर सकते हैं क्या? उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि अनुच्छेद 370 को हटाना ऐसा भूकंप लाएगा कि कश्मीर भारत से अलग हो जाएगा। फारुख अब्दुल्ला ने कहा था 370 को हटना कश्मीर के लोगों की आजादी का मार्ग प्रशस्त करेगा। क्या ऐसी बातों को कोई स्वीकार कर सकता है क्या?।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे देश में सिक्किम ऐसा प्रदेश है जिसने ऑर्गेनिक प्रदेश के रूप में अपनी पहचान बनाई है। देश के दूसरे राज्यों को सिक्किम जैसे छोटे राज्य ने प्रेरणा दी है। लद्दाख के लिए मेरे मन में चित्र साफ है। इसलिए हम चाहते हैं कि जिस प्रकार भूटान की प्रशंसा होती है, हम संकल्प लेते हैं कि हम लद्दाख को भी कार्बन न्यूट्रल इकाई के रूप में विकसित करेंगे।