आखिरकार कई दिनों से चला आ रहा राजनीतिक मनमुटाव खत्म हो गया है। आरएसएस के तरफ से दिए गए दीक्षांत समारोह के न्योते को जब से पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने स्वीकारा था तब से कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने आ गए थे। एक तरफ जहां कांग्रेस को लग रहा था कि बीजेपी प्रणब मुखर्जी का इस्तेमाल उनके खिलाफ करेगा और प्रणब दा उनका साथ दे रहे हैं तो वहीं बीजेपी और आरएसएस इस बात को सिरे से खारिज कर रहे थे। लेकिन अब गुरूवार को हुए उनके भाषण के बाद दोनों ही दल अपने-अपने घर शांति से बैठे हैं। हालांकि इस बीच उनका एक नकली फोटो वॉयरल हो रहा है जिसमें वो स्वयंसेवक के प्रार्थना मुद्रा में खड़े हैं। इसे लेकर कांग्रेस ने आरएसएस पर कई आरोप भी लगाए हैं।

बता दें कि गुरूवार को प्रणब मुखर्जी ने जोरदार भाषण दिया। उऩ्होंने कहा कि घृणा से राष्ट्रवाद कमजोर होता है और असहिष्णुता से राष्ट्र की पहचान क्षीण पड़ जाएगी। उन्होंने कहा, ‘हमारे समाज की यह बहुलता सदियों से पैदा हुए विचारों से घुलमिल बनी है. पंथनिरपेक्षता और समावेशन हमारे लिए विश्वास का विषय है. यह हमारी मिश्रित संस्कृति है जिससे हमारा एक राष्ट्र बना है।’ महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल के दर्शनों की याद दिलाते हुए मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्रीयता एक भाषा, एक धर्म और एक शत्रु का बोध नहीं कराती है। उन्होंने कहा कि यह 1.3 अरब लोगों के शाश्वत एक सार्वभौमिकतावाद है जो अपने दैनिक जीवन में 122 भाषाओं और 1,600 बोलियों का इस्तेमाल करते हैं।

वहीं इसके इतर भाषण के बाद कांग्रेस काफी खुश है। कांग्रेस के मुताबिक मुखर्जी ने संघ को ‘सच का आईना’ दिखाया और नरेंद्र मोदी सरकार को ‘राजधर्म’ की याद दिलाई। चिदंबरम ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘खुश हूं कि मिस्टर प्रणब मुखर्जी ने RSS को बताया कि कांग्रेस की विचारधारा में सही क्या है। यह उनके कहने का अपना तरीका था कि RSS की विचारधारा में गलत क्या है।’