18 अगस्त 2022 को राष्ट्रीय ग्रिड ऑपरेटर पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन (POSOCO) ने भारत के तीन पावर एक्सचेंजों (Power Exchanges) – इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (IEX), पावर एक्सचेंज इंडिया लिमिटेड (PXIL) और हिंदुस्तान पावर एक्सचेंज (HX) को 27 बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को 5,085 करोड़ रुपये के बकाया का भुगतान नहीं करने के चलते प्रतिबंधित करने का आदेश दिया.

आदेश के बाद बकाया राशि का भुगतान न करने के कारण 12 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश की 27 डिस्कॉम को तीनों एक्सचेंज ने अपने प्लेटफॉर्म पर ट्रेडिंग करने से रोक दिया गया था.
हालांकि विद्युत मंत्रालय द्वारा 10 राज्यों के बिजली उत्पादकों को अपना बकाया चुकाने के बाद बाजार से बिजली बेचने और खरीदने की अनुमति दे दी. केवल तीन राज्य – कर्नाटक, जम्मू और कश्मीर और मिजोरम ने अभी तक बकाया का भुगतान नही किया है.
प्रतिबंध राज्यों की सूची में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, मणिपुर, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर शामिल थे.
4 अगस्त को दी गई 22 हजार करोड़ की मंजूरी
4 अगस्त को सार्वजनिक क्षेत्र की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी आरईसी लिमिटेड ने बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के लिए 22,000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं जिससे वे बकाये का भुगतान कर सकें.
सरकार के विलंब भुगतान अधिभार और संबद्ध मामले नियम 2022 (एलपीएस नियम) के तहत झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और जम्मू-कश्मीर की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को यह वित्तीय मदद दी है.
नये नियम
विद्युत केंद्रों को होने वाले नुकसान को कम करने और उनके बकाया के भुगतान के लिए विद्युत मंत्रालय ने नए नियम जारी किए हैं. नये नियमों की वजह से 13 राज्यों पर प्रतिबंध लगा है. नये नियम 19 अगस्त 2022 से ही लागू हुए हैं.
नयें नियमों के मुताबिक अगर राज्यों की बिजली वितरण कंपनियां पावर कंपनियों के बकाया को 7 महीने तक नहीं चुकाती तो उन्हें पावर एक्सचेंज पर प्रतिबंधित कर दिया जाएगा.
बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) के समक्ष चुनौतियां
देश में मौजूदा वितरण कंपनियों को तकनीकी एवं वाणिज्यिक (Aggregate Technical and Commercial- AT&C) हानियां उठानी पड़ती हैं.
तकनीकी हानि पारेषण और वितरण (Transmission and Distribution) प्रणालियों में बिजली के प्रवाह के कारण होती है. वहीं, व्यावसायिक हानि बिजली की चोरी, प्राप्त मात्रा में मीटरों की कमी आदि के कारण होती है.
पिछल एक दशक में देश के 4.9 करोड़ लोगों के घरों का विद्युतीकरण किया गया है. इसके अलावा देशभर में कई योजनाओं के माध्यम से पिछले दशक में ग्रामीण बिजली नेटवर्क में 50,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया गया है.
देश के कई हिस्सों में बिजली की बिक्री का लगभग 25 फीसदी अत्यधिक सब्सिडीयुक्त है. कृषि उपभोक्ताओं को भी अनियमित एवं खराब गुणवत्ता की आपूर्ति प्राप्त होती है.
लगातार किये जा रहे प्रयासों के बावजूद उपभोक्ता और फीडर के स्तर पर बिना मीटर वाले उपभोक्ताओं और खराब मीटरों की समस्या आज भी बनी हुई है.
चालित मीटरों के बिना सही से ऊर्जा लेखांकन और हानि की निगरानी आज भी एक बड़ी चुनौती है.

इसी साल जुलाई में प्रधानमंत्री ने देश के सभी राज्यों से बिजली कंपनियों के बकाया का भुगतान करने की अपील की थी. इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि बिजली कंपनियों का विभिन्न राज्यों और सरकारी विभागों पर 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक बकाया है और कुछ राज्य तो ग्राहकों को दी जा रही सब्सिडी के पैसे भी नहीं दे रहे हैं.
बिजली वितरण के लिये पहलें
केंद्र सरकार द्वारा जून 2021 में बिजली वितरण नेटवर्क में निवेश के लिए पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र सुधार योजना (RDSS) शुरू की गई थी.
त्वरित बिजली विकास कार्यक्रम (शहरी क्षेत्र में होने वाली हानि में कमी लाने हेतु योजना).
पीएम सौभाग्य (ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्शन और नेटवर्क विस्तार केंद्रित योजना).
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (DDUGJY).
उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (UDAY/उदय)
ये कुछ ऐसी योजनाओं हैं जिन्होंने भारत के बिजली क्षेत्र की वितरण कंपनियों की पहुंच बढ़ाने और उनके प्रदर्शन में सुधार लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र सुधार योजना (RDSS)
पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र सुधार योजनादेश की सरकारी (केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित)वितरण कंपनियों की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार लाने पर लक्षित है.
योजना का उद्देश्य आपूर्ति बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए डिस्कॉम्स को सशर्त वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए निजी क्षेत्र के डिस्कॉम्स के अलावा सभी डिस्कॉम्स / विद्युत विभागों की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार करना है.
योजना के तहत वितरण कंपनियों की आपूर्ति अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिये सशर्त वित्तीय सहायता प्रदान करेगा.
परिव्यय का आधा भाग बेहतर फीडर और ट्रांसफॉर्मर मीटरिंग एवं प्री-पेड स्मार्ट उपभोक्ता मीटर के लिये रखा गया है. शेष आधा भाग, जिसमें से 60 फीसदी केंद्र सरकार के अनुदान द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा.
यह एक समग्र योजना है जिसमें सभी मौजूदा बिजली क्षेत्र सुधार योजनाओं—एकीकृत बिजली विकास योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना का विलय कर दिया गया है.
ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (Rural Electrification Corporation) और विद्युत वित्त निगम (Power Finance Corporation) इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिये नोडल एजेंसियां हैं.
डिस्कॉम ओर हानि
लागत वसूल कर सकने में डिस्कॉम की अक्षमता के कारण देश में बिजली उत्पादन कंपनियों का बकाया 1.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. देरी से हो रहे भुगतान के कारण बिजली उत्पादन कंपनियां (Power Generation Companies- GenCos) कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) समेत अन्य कंपनियों को कोयले के लिए समय पर भुगतान नहीं कर पा रही हैं.

दो दशकों से जारी क्षेत्रीय सुधारों के बावजूद डिस्कॉम का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है, वर्ष 2020-21 में डिस्कॉम की कुल हानि 59,000 करोड़ तक पहुंच गया है.
घाटे के पिछे मुख्य कारण परिचालन अक्षमता और उपभोक्ताओं (राज्य सरकारों और नगर निकायों से संबद्ध उपभोक्ताओं सहित) से बकाया राशि की वसूली न कर पाना है.
देश में बिजली संकट
इसी साल अप्रैल महीने में बढ़ती गर्मी के बीच बिजली की मांग में आई तेजी और कम कोयले की आपूर्ति के कारण भारत में बिजली संकट छा गया था.
बिजली संकट के दौरान देश के कई राज्यों जिनमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, ओडिशा और झारखंड आदि प्रमुख रूप से शामिल थे, में बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई थी और भीषण गर्मी के बीच लोगों को घंटों लंबी बिजली कटौती का सामना करना पड़ा था.
इसके अलावा मानसून के समय भी खदानों में पानी भरने के कारण कुछ राज्यों में बिजली संकट पैदा हो जाता है.
कोयला और बिजली
भारत में 30 जून 2022 तक की स्थिति के अनुसार देश में कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता में ताप विद्युत (कोयला, गैस और पेट्रोलियम के दहन से उत्पन्न बिजली) की हिस्सेदारी 58.5 फीसदी थी. वहीं भारत द्वारा कुल उर्जा जरूरतों का 39.7 फीसदी गैर जीवाश्म ईंधन से पूरा करता है.

वर्ष 2021 में भारत में कुल बिजली का 74 फीसदी कोयले से पैदा की गई.
भारत ताप विद्युत उत्पादन के लिए कोयले की अपनी आवश्यकताओं का लगभग 20 फीसदी आयात करता है.