PM Modi: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को नई दिल्ली में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में भाग लिया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि 2047 में, जब देश अपनी आजादी के 100 साल पूरा करेगा, तो हम देश में किस तरह की न्यायिक व्यवस्था देखना चाहेंगे? हम अपनी न्यायिक व्यवस्था को इतना सक्षम कैसे बनाएं कि वह 2047 के भारत की आकांक्षाओं को पूरा कर सके, ये सवाल आज हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अमृत काल में हमारी दृष्टि ऐसी न्यायिक प्रणाली पर होनी चाहिए जिसमें सभी के लिए न्याय आसान हो।

न्यायपालिका के विभिन्न स्तरों पर रिक्तियों को भरने के प्रयास जारी:PM Modi
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि सरकार न्याय मिलने में देरी को कम करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है और न्यायिक ताकत बढ़ाने और न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए प्रयास कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि केस प्रबंधन के लिए आईसीटी को तैनात किया गया है और न्यायपालिका के विभिन्न स्तरों पर रिक्तियों को भरने के प्रयास जारी हैं।
PM Modi ने की न्यायाधीशों से अपील
उन्होंने कहा कि भारत सरकार न्यायिक प्रणाली में प्रौद्योगिकी की संभावनाओं को डिजिटल इंडिया मिशन का एक अनिवार्य हिस्सा मानती है। उन्होंने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से इसे आगे बढ़ाने की अपील की। उन्होंने कहा कि ई-कोर्ट परियोजना आज मिशन मोड में लागू की जा रही है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले साल दुनिया में जितने भी डिजिटल लेनदेन हुए, उनमें से 40 प्रतिशत डिजिटल लेनदेन भारत में हुआ। प्रौद्योगिकी के उपयोग के विषय पर आगे पीएम ने कहा कि आजकल, कई देशों में कानून विश्वविद्यालयों में ब्लॉक-चेन, इलेक्ट्रॉनिक खोज, साइबर सुरक्षा, रोबोटिक्स, एआई और बायोएथिक्स जैसे विषयों को पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हमारे देश में भी कानूनी शिक्षा इन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो।
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