एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा । सीट बंटवारे को लेकर आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए से अलग होने के बाद अब राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने भी सीट बंटवारे पर बीजेपी को 31 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दे दिया है । ऐसे में सवाल उठ रहा है कि पहले जीतन राम मांझी, फिर उपेंद्र कुशवाहा के बाद क्या अब रामविलास पासवान भी एनडीए से किनारा करने की तैयारी में हैं ? ये सवाल इस समय केंद्र और बिहार के सियासी गलियारों में बड़ी तेजी से उठ रहा है ।
लोकजनशक्ति पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राम विलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस ने एक तरह से सीट बंटवारे के मुद्दे पर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है । पशुपति कुमार पारस से पहले मंगलवार को चिराग के एक ट्वीट से पहले ही बिहार के सियासी गलियारे में हचलत मचा हुआ था और अब 31 दिसंबर तक का अल्टीमेटम देकर पशुपति कुमार पारस एक कदम और आगे बढ़ गए हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस को आगे कर रामविलास पासवान पर्दे के पीछे से पूरी रणनीति तय कर रहे हैं । चिराग का ट्विट और पटना में पशुपति कुमार पारस का प्रेस क़न्फेंस करना रामविलास पासवान की रणनीति का ही हिस्सा है ।
पशुपति मार पारस ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर न केवल अपने लिए सात सीटें मांगी बल्कि बीजेपी को 31 दिसंबर तक सीटों को बंटवारा करने का अल्टीमेटम भी दे डाला । पारस ने कहा कि 2014 में हमलोग एनडीए का हिस्सा रहे, साढ़े चार वर्ष हम विश्वास के साथ रहे और हम चाहते हैं कि एनडीए की सरकार फिर बने ।
उन्होंने कहा कि हमारी पीएम से मांग है कि सही समय पर सीट शेयरिंग पर वो फैसला लें । हम चाहते हैं कि हम जितनी सीटों पर लड़े थे हमें उतनी सीट फिर से मिलें और समय से पहले मिलें । पारस ने कहा कि ये नहीं होगा कि हमें ये सीट बीजेपी से चुनाव के ठीक पहले मिले । उन्होंने साफ कहा कि वे किसी के पीछे-पीछे नहीं दौड़ेंगे ।
पशुपति कुमार पारस को इस बात का भी मलाल है कि जेडीयू और बीजेपी ने आपस में सीटों पर बात की लेकिन लोक जनशक्ति पार्टी को नहीं पूछा गया । पारस को इस बात का भी दुख है कि आज तक उनलोगों से नहीं पूछा गया कि लोक जनशक्ति पार्ची कितनी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है । पारस ने कहा कि हमें किसी भी कीमत पर 7 सीटें चाहिए । उन्होंने ये भी कहा कि एनडीए से जीतन मांझी गए, कुशवाहा गए तो गठबंधन पर असर तो पड़ रहा है. उन्होंने सीटों के बंटवारे के लिए 31 दिसंबर तक की मोहलत देने की बात की ।
इससे पहले मंगलवार को पार्टी के संसदीय दल के नेता और जमुई से सांसद चिराग पासवान के दो ट्वीट कर साफ कर दिया था कि एनजीए में सबकुठ ठीक नहीं चल रहा है । ट्विट में उन्होंने एनडीए से नाराजगी और बीजेपी की तीन प्रदेशों में हार के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में असंतोष उभरने के संकेत दिए । मंगलवार की रात चिराग ने अपने ट्विटर हैंडल से दो ट्वीट किए. पहला ट्वीट 8.02 और दूसरा 8.14 मिनट पर आया. एलजेपी सांसद चिराग पासवान के इन दो ट्वीट्स ने एक साथ कई सवाल खड़े कर दिए.
पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘टीडीपी और रालोसपा के एनडीए से जाने के बाद गठबंधन नाज़ुक मोड़ से गुज़र रहा है. ऐसे समय में भारतीय जनता पार्टी गठबंधन में फ़िलहाल बचे हुए साथियों की चिंताओं को समय रहते सम्मानपूर्वक तरीक़े से दूर करे.’
इस ट्वीट के बाद चिराग का दूसरा ट्वीट कुछ-कुछ धमकी भरे अंदाज में किया गया जिसमें उन्होंने और लिखा, ‘गठबंधन की सीटों को लेकर कई बार भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से मुलाकात हुई. लेकिन, अभी तक कुछ ठोस बात आगे नहीं बढ़ पाई है. इस विषय पर समय रहते बात नहीं बनी तो इससे नुकसान हो सकता है.’
चिराग पासवान के ट्विट के बाद सियासी गलियारे में हलचल तेज होनी ही थी । केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने और एनडीए से नाता तोड़ने वाले उपेंद्र कुशवाहा ने लोक जनशक्ति पार्टी को नसीहत देने में बिना कोई देरी किए एक बड़ा बयान दे दिया । उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) नेता चिराग पासवान के 2019 चुनाव से पहले बीजेपी को अपने सहयोगियों से मिलबैठ कर उनकी चिंताओं को दूर कर लेने की नसीहत पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीजेपी ने जिस तरह मेरे साथ किया है वैसे ही वो भविष्य में रामविलास पासवान और उनकी पार्टी के साथ करने वाली है ।
उन्होंने एलजेपी से भी जल्द से जल्द एनडीए गठबंधन छोड़ने की अपील की. कुशवाहा ने कहा कि बीजेपी की मानसिकता छोटी पार्टियों को बर्बाद करने की है.
उल्लेखनीय है कि कुशवाहा ने इसी महीने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था । कुशवाहा बिहार में सीटों के बंटवारे में उचित हिस्सेदारी नहीं मिलने से काभी समय से नाराज चल रहे थे. उन्होंने इस मुद्दे पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत कई बड़े नेताओं से बातचीत की थी. मगर इसका हल नहीं होने पर उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने और एनडीए गठबंधन छोड़ने का फैसला कर लिया। हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कोषाध्यक्ष अहमद पटेल ने दिल्ली में कुशवाहा के आवास पर उनसे मुलाकात की थी. दोनों के बीच हुई इस बैठक के बाद माना जा रहा है कि नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ बनने वाले महागठबंधन में आरएलएसपी को भी शामिल किया जा सकता है । लेकिन क्या यह बात लोक जनशक्ति पार्टी पर ङी आसानी से लागू हो जाएगी कह पाना मुश्किल है । खासतौर से बिहार में महागठबंधन में आरजेडी और हम जैसी पार्टियां रामविलास पासवान को पचा पायेगी कह पाना मुश्किल है ।
बहरहाल, तीन राज्यों में हार का सामना कर चुकी बीजेपी के लिए एक –एक कर छोटे सहयोगी दलो का निकलना शुभ संकेत नहीं है । राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार और अमित शाह की अंह की राजनीति में गठबंधन को काफी नुकसान हो सकता है ।
उदय चंद्र सिंह