संसद की एक स्थायी समिति ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर विधि आयोग और कानून मंत्रालय के प्रतिनिधियों को बुलाया है। स्थायी समिति विधि आयोग द्वारा जारी सार्वजनिक नोटिस पर इन प्रतिनिधियों के विचारों को सुनेगी। ‘पर्सनल लॉ की समीक्षा’ विषय के तहत समान नागरिक संहिता पर विभिन्न हितधारकों से विचार आमंत्रित किये जा रहे हैं। गौरतलब है कि मंगलवार शाम तक इस मामले पर 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिली थीं।
वहीं संसदीय स्थायी समिति ने गुरुवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर एक बैठक बुलाई थी, जिसके दौरान उसने कहा कि वह हितधारकों के विचारों को सुनेगी। भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी के नेतृत्व वाली समिति ने सभी 31 सांसदों और समिति के सदस्यों को सूचित किया कि 3 जुलाई की बैठक में यूसीसी पर उनके विचार मांगे जाएंगे और उन पर विचार किया जाएगा।
समिति के एजेंडे पर एक विज्ञप्ति में कहा गया है, “सदस्यों को याद दिलाया जाता है कि संसदीय स्थायी समिति की अगली बैठक सोमवार, 3 जुलाई, 2023 को दोपहर 03.00 बजे होगी।” इसके अलावा, समिति ने कहा कि भारत के विधि आयोग द्वारा 14 जून, 2023 को जारी सार्वजनिक नोटिस पर संगठनों के प्रतिनिधियों के विचारों को सुनने के लिए पर्सनल लॉ की समीक्षा विषय के तहत समान नागरिक संहिता पर विभिन्न हितधारकों से विचार आमंत्रित किए गए हैं।
बता दें कि सभी समुदायों के लोगों के लिए समान कानूनों के पक्ष में एक मजबूत तर्क रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा था कि देश को “दो कानूनों” के साथ नहीं चलाया जा सकता है, जबकि संविधान सभी के लिए समानता की बात करता है। पीएम मोदी ने कहा, “क्या एक परिवार चलेगा अगर सदस्यों के लिए दो अलग-अलग नियम हों? तो एक देश कैसे चलेगा? हमारा संविधान भी धर्म, जाति और पंथ के बावजूद सभी को समान अधिकारों की गारंटी देता है।”
मालूम हो कि समान नागरिक संहिता भारत में नागरिकों के निजी कानूनों को बनाने और लागू करने का एक प्रस्ताव है जो सभी नागरिकों पर उनके धर्म, लिंग, लिंग की परवाह किए बिना समान रूप से लागू होता है। वर्तमान में, विभिन्न समुदायों के निजी कानून उनके धार्मिक ग्रंथों द्वारा शासित होते हैं।