2017 के विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद से ही ईवीएम मशीन पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं, अब एक बार फिर ईवीएम के विरोध में 16 विपक्षी दल चुनाव आयोग तक पहुंचे और केंद्र सरकार की घेराबंदी की।
गौरतलब है कि विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से मुलाकात की और साथ ही मांग की कि चुनाव ईवीएम मशीन के जरिए नहीं बल्कि मतपत्र के जरिए होने चाहिए। विपक्षियों का मानना है कि अब जनता का भरोसा ईवीएम पर नहीं रहा है, क्योंकि इसमें धांधली होती है। कांग्रेस के नेतृत्व में इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने बैठक की और इसमें ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतों पर विचार किया गया।
बैठक में तय किया गया कि इस मुद्दे को चुनाव आयोग के सामने प्रमुखता से उठाया जाएगा इस बैठक में हिस्सा होने वाले दलों में कांग्रेस, बीएसपी, सपा, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, वामदलों सहित कई अन्य दल शामिल हैं। वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल यानि वीवीपीएटी मशीन पर भी बात हुई। विपक्षियों की इस बैठक में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों पर चर्चा की गई। कई नेताओं ने राय दी कि दोनों राज्यों के चुनावों में आधी सीटों पर ईवीएम मशीन और आधी सीटों पर मतपत्र के जरिए चुनाव किया जाना चाहिए।
हालांकि ईवीएम की गड़बड़ी पर सवाल उठाने का मसला नया नहीं है, इससे पहले भी 2009, 2012 में मशीन को लेकर छींटाकशी की गई थी, मगर उस वक्त भी साबित नहीं हो पाया था कि मशीन में गड़बड़ी की गई है। हाल ही में दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह मुद्दा उठाते हुए यहां तक कह दिया था कि चुनाव आयोग धृतराष्ट्र है और बीजेपी दुर्योधन।