Qatar: 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को कतर की एक अदालत ने गुरुवार (26 अक्टूबर) को जासूसी के मामले में फांसी की सजा सुनाई है। इस मामले को भारत सरकार भी चुनौती देने को तैयार है और कानूनी विकल्प तलाश रही है। इस बीच तमाम विपक्षी पार्टियों ने कतर मामले पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने संसद में जब इस मुद्दे पर चर्चा की, तो सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया जिसका परिणाम अब भुगतना पड़ रहा है।
एआईएमआईएम और कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में जुटे हैं। बता दें कि ये आठों भारतीय पिछले साल अक्टूबर से ही कतर में हिरासत में रखे गए थे। मामले पर फिलहाल भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है, ”हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं। इस मामले को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं और इस पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। फैसले को कतर के अधिकारियों के सामने भी उठाएंगे। इस मामले की कार्यवाही की गोपनीय प्रकृति के कारण इस समय कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।”
Qatar: पीएम मोदी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं- ओवैसी
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सभी पूर्व कर्मियों को वापस लाना चाहिए। ओवैसी ने कहा, “अगस्त में मैंने कतर में फंसे नौसेना के पूर्व अधिकारियों का मुद्दा उठाया था। आज उन्हें मौत की सजा दी गई है। पीएम मोदी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं कि इस्लामिक देश उनसे कितना प्यार करते हैं। उन्हें पूर्व अधिकारियों को वापस लाना चाहिए। ये बेहद ही दुर्भाग्य की बात है कि उन्हें मौत की सजा का सामना करना पड़ रहा है।”
Qatar: “सरकार नहीं रही गंभीर” -मनीष तिवारी
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी कहा है कि सरकार ने पूर्व कर्मियों के परिवार के सदस्यों, पूर्व सैनिक लीग और यहां तक कि सांसदों के अनुरोध को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने कहा, “ये वो मुद्दा नहीं है, जहां हम ये कहें कि उसने ये कहा, तो उसने ये बोला”। आठ बहुत ही ज्यादा सीनियर कर्मियों की जान दांव पर लगी हुई है।” उन्होंने कहा, “उनके परिजनों को कभी ये नहीं बताया गया कि उनके ऊपर क्या आरोप हैं. मुझे बताया गया है कि उनके बचाव के लिए नियुक्त वकील भी परिवारों के साथ टाल-मटोल कर रहा है।”
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