प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार 17 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना ‘एक राष्ट्र-एक उर्वरक’ (One Nation One Fertiliser) की शुरुआत की और इसके तहत ‘भारत यूरिया बैग्स’ भी पेश किए. योजना के बाद से कंपनियों को एक ही ब्रांड नाम – भारत के तहत उर्वरकों के बेचना पड़ेगा.
दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) के पूसा मेला मैदान में आयोजित एक समारोह में प्रधानमंत्री ने रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत 600 प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों (पीएमकेएसके) का भी शुभारंभ किया. इसके तहत सबसे पहले देश भर में 3.25 लाख से अधिक उर्वरक दुकानों को ‘प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों’ के रूप में विकसित करने का एक अभियान आज शुरू किया जा रहा है. ये ऐसे केंद्र होंगे जहां किसान न केवल उर्वरक और बीज खरीद सकते हैं बल्कि मिट्टी परीक्षण भी करा सकते हैं और कृषि तकनीकों के बारे में उपयोगी जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं.
One Nation One Fertiliser का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि, ‘‘एक राष्ट्र-एक उर्वरक से किसान को हर तरह के भ्रम से मुक्ति मिलने वाली है और बेहतर खाद भी उपलब्ध होने वाली है. देश में अब एक ही नाम और एक ही ब्रांड से और एक समान गुणवत्ता वाले यूरिया की बिक्री होगी और यह ब्रांड है भारत.’
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अगस्त से चल रही थी तैयारी
24 अगस्त 2022 को, केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय (MINISTRY OF CHEMICALS & FERTILIZERS) ने देश की सभी उर्वरक उत्पादक कंपनियों को एक कार्यालय ज्ञापन (Official Memorandum) के माध्यम से निर्देशित करते हुए कहा कि 2 अक्टूबर 2022 से पूरे देश में ‘एक राष्ट्र एक उर्वरक’ नीति (One Nation One Fertiliser Policy) के तहत सिर्फ एकल ब्रांड नाम के साथ उर्वरकों को बेचा जा सकेगा लेकिन इस योजना को आज से यानि 17 अक्टूबर से शुरू किया गया है.
अगस्त में जारी किए गए आदेश के मुताबिक, ‘यूरिया, डीएपी, एमओपी और एनपीके आदि के लिए एकल ब्रांड (Single Brand) नाम क्रमशः भारत यूरिया, भारत डीएपी, भारत एमओपी और भारत एनपीके होगा. उर्वरक उत्पादक कंपनियों को दिये गए आदेश में कहा गया है कि 15 सितंबर 2022 तक पुराने बोरियों (Bags) खरीदना बंद कर दिया और 2 अक्तूबर 2022 (महात्मा गांधी जयंती) तक एकल ब्रांड वाले बैग के साथ बाजार में उपलब्ध कराया जाए.
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क्यो लेकर आई सरकार इस योजना को?
केंद्र सरकार का कहना है कि यूरिया का अधिकतम खुदरा मूल्य (Maximum Retail Price) वर्तमान में सरकार द्वारा ही तय किया जाता है, इसके अलावा केंद्र सरकार उर्वरक उत्पादक कंपनियों को उनके द्वारा किए गए उत्पादन या आयात की उच्च लागत के लिए क्षतिपूर्ति की भी भरपाई करती है.
सरकार के अनुसार गैर-यूरिया उर्वरकों का अधिकतम खुदरा मूल्य को कागजी तौर पर (Officially) नियंत्रण मुक्त कर दिया गया है. लेकिन, अगर उत्पादक कंपनियां सरकार द्वारा अनौपचारिक रूप से तय किये गए अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक पर बिक्री करती है तो वे सब्सिडी का लाभ नहीं ले सकती हैं. मौजूदा समय में सरकार 26 उर्वरकों (यूरिया सहित) पर सब्सिडी देती है, और प्रभावी रूप से उनका खुदरा मूल्य भी तय करती है.
उर्वरक (आंदोलन) नियंत्रण आदेश, 1973, के तहत केंद्र सरकार उर्वरक उत्पादक कंपनियां किस कीमत पर उर्वरक बेच सकती हैं इसके अलावा सब्सिडी देने और यहां तक तय करती है कि वे कहां बेच सकती हैं. 1973 के आदेश के तहत ही उर्वरक विभाग निर्माताओं और आयातकों के साथ परामर्श कर सभी सब्सिडी वाले उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति के लिए एक मासिक आपूर्ति योजना तैयार करता है.
खाद की आपूर्ति के लिए मंत्रालय को योजना को आने वाले महीने के लिए प्रत्येक महीने की 25 तारीख (जैसे नवंबर महीने के लिए 25 अक्टूबर तक योजना तैयार हो जानी चाहिए) से पहले जारी / तैयार किया जाता है. इसके साथ ही उर्वरक विभाग देश में आवश्यकता के अनुसार उर्वरक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से आवाजाही की निगरानी भी करता है.
सरकार का कहना है कि जब सरकार उर्वरक सब्सिडी जो 2022-23 में 2,50,000 करोड़ रुपये (ढ़ाई लाख करोड़ रुपए) तक पहुंचने की संभावना है पर भारी मात्रा में पैसा खर्च कर रही है, इसके साथ सरकार ही यह तय कर रही है कि कंपनियां कहां और किस कीमत पर बेच सकती हैं, तो इसका श्रेय भी स्पष्ट रूप से सरकार को मिलना चाहिए और इसके साथ ही सरकार किसानों को संदेश भी भेजना चाहती है.
आदेश के अनुसार सभी उर्वरक कंपनियों, राज्य व्यापार संस्थाओं (State Trading Entities) और उर्वरक विपणन संस्थाएं (Fertilizer Marketing Entities) को उर्वरक बोरियों पर उर्वरक सब्सिडी योजना यानी प्रधानमंत्री भारतीय जनउर्वरक परियोजना को दर्शाने वाला एक समान लोगो का उपयोग किया जाना चाहिए.
पीएम किसान समृद्धि केंद्र
पीएम-किसान समृद्धि केंद्रों का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि ये ऐसे केंद्र होंगे जहां सिर्फ खाद ही नहीं बल्कि बीज और उपकरण भी मिलेंगे और मिट्टी की जांच भी हो सकेगी. हर प्रकार की जानकारी भी किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी. इस कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और केंद्रीय रसायन व उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया भी मौजूद थे.