सुप्रीम कोर्ट ने आज तीन तलाक,बहु–विवाह और निकाह–हलाला मामले में दायर की गई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए इस मामले को संवैधानिक पीठ को भेज दिया। अब इस मामले की सुनवाई 11 मई से संवैधानिक पीठ ही करेगी। आज से पहले हुई सुनवाई में कोर्ट ने दोनों पक्षों से जवाब-तलब करते हुए इस मसले पर पहले मुद्दे निर्धारित करने के लिए भी कहा था। कोर्ट ने कहा था दोनों पक्ष पहले मुद्दे निर्धारित करके कार्रवाई को आगे बढ़ाए ताकि बहस सही मुद्दों पर हो सके।
सर्वोच्च न्यायलय ने सुनवाई करते हुए यह भी कहा था कि तीन तलाक संबंधी कानूनी प्रस्तावों पर कोर्ट केवल विचार विमर्श करेगी। कोर्ट इस बात पर फैसला नहीं करेगी कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत तलाक पर अदालतें नजर रखेंगी या नहीं। इससे पहले आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कोर्ट में जवाब दाख़िल करते हुए कहा था कि इस्लामी कानून की बुनियाद पवित्र कुरान में बताये गए सूत्रों पर पड़ी है इसकी वैधता संविधान के खास प्रावधानों पर परखी नहीं जा सकती है। इनकी संवैधानिक व्याख्या जबतक जरूरी न हो जाए, तबतक उसकी दिशा में आगे बढ़ने से न्यायिक संयम बरतने की जरूरत है।
देश में तीन तलाक के मुद्दे पर जारी बहस और इसके विरोध में मुखर होती आवाजों के बीच निगाहें सरकार और सुप्रीम कोर्ट पर हैं। इस मामले में कोर्ट में कई मामलों में याचिकाएं दायर की गई हैं। इन याचिकाओं पर अभी सुनवाई चल रही है। इस मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कोर्ट में अपनी बात रखते हुए कहा था कि इस्लाम पहला ऐसा धर्म था जिसने महिलाओं को समान अधिकार दिया था। बोर्ड ने दावा किया कि याचिकाएं गलत समझ के चलते दायर की गई हैं और यह चुनौती मुस्लिम पर्सनल कानून की गलत समझ पर आधारित है। बोर्ड के अनुसार तीन तलाक, निकाह हलाला और बहु-विवाह की प्रथाओं को चुनौती देने वाली याचिकाएं विचारयोग्य नहीं हैं। साथ ही ये कोर्ट के दायरे में नहीं आते हैं।