हाल ही में यूपी के पुलिस थानों में चार इंस्पेक्टरों की तैनाती की व्यवस्था शुरू की गयी थी, पर फ्लॉप रही। तो अब अफवाहों पर नकेल कसने के लिए डिजिटल वालंटियर्स तैयार करने जा रही है। यूपी पुलिस में बुनियादी स्तर पर तो बदलाव हो नहीं पा रहे हैं। बस प्रयोग दर प्रयोग जारी हैं। लिहाजा न तो पुलिसिंग बेहतर हो पा रही है न ही आम जन को राहत मिल पा रही है।
कुछ दिनों पहले ही यूपी के 414 सर्कल थानों में चार इंस्पेक्टरों की तैनाती का नया प्रयोग किया गया। जिसमें एक मुख्य इंस्पेक्टर के अलावा इंस्पेक्टर क्राईम, इंस्पेक्टर लॉ एंड ऑर्डर और इंस्पेक्टर एडमिन की तैनाती होनी थी। शुरूआती कुछ दिन तो इसे लेकर खूब हो हल्ला हुआ पर धीरे धीरे ये प्रयोग सुपर फ्लॉप साबित हो गया। तो अब फिर से एक नए प्रयोग की शमा रोशन कर दी गयी है। ये है डिजिटल मीडिया वालंटियर का प्रयोग। हर थाने में 250 वालंटियर तैयार करके सोशल मीडिया ग्रुप बनाया जाएगा। कुल 1469 थानों में साढ़े तीन लाख वालंटियर्स बनेंगे। बकौल डीजीपी इससे अफवाहों पर रोकथाम के लिए ये क्रांतिकारी कदम होगा, सूचनाएं त्वरित गति से प्रवाहित होंगी।
अब ये प्रयोग सुनने में तो अच्छे लगते हैं पर हकीकत से भी आंख मूंदी नही जा सकती। यूपी में पुलिसिंग में सुधार को लेकर बहुतेरे प्रयोग होते रहे हैं, पर जिन पुलिसवालों पर सारे तंत्र का जिम्मा है कभी उनकी सुध लेने की कोशिश ही नहीं की गयी। लगातार जारी ड्यूटी, काम का बोझ, संसाधनों का टोटा, तादाद में कमी सरीखी दिक्कतों से खाकीधारी कभी निजात ही नहीं पा सके, बस हर हाकिम अपनी नयी योजना लेकर हाजिर होता रहा। जिसे अनमने मन से जारी रखा जाता है, हाकिम बदला तो योजना भी बिसरा दी जाती है। लिहाजा पुलिसिंग में बदलाव का सपना हकीकत में तब्दील नहीं हो सका। नए प्रयोग को लेकर सियासतदानों और जानकारों की अपनी अपनी राय है।
इससे पहले जावीद अहमद के डीजीपी रहने के दौरान ऐसी ही कवायदें शुरू हुई थीं। जिसके तहत व्हाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक सक्रिय युवाओं को चुने जाने की तैयारी थी। इनके जरिए इलाके की घटनाओं की सूचना देने और रोकथाम में सहयोग की योजना थी। बाकायदा इसके लिए तमाम अफसरों को ट्रेनिंग दी जा चुकी थी पर जावीद अहमद के हटने के बाद ये योजना ठंडे बस्ते में जा पहुंची, जिसे झाड़ पोंछ कर मौजूदा डीजीपी लागू कर रहे हैं।