झारखंड की राजधानी रांची में NIA कोर्ट ने गांधी मैदान सीरियल ब्लास्ट मामले में दोषी 4 लोगों को फासी की सजा का एलान किया है। इस मामले में कुल नौ आतंकियों को NIA कोर्ट ने सोमवार को सजा सुनायी। चार दोषियों को फांसी के अलावा दो को उम्रकैद, दो दोषियों को 10-10 साल कैद और एक दोषी को सबूत छिपाने का दोषी पाते हुए 7 साल के कैद की सजा सुनाई।

अपने फैसले में अदालत ने सभी दोषियों को 30 दिन के अंदर ऊपरी अदालत में इस फैसले के खिलाफ अपील करने का समय भी दिया है। NIA कोर्ट में सजा पर जिरह के दौरान दोषियों के वकील सैयद मोहम्मद इमरान गनी खां ने दोषियों के परिवार की गरीबी, बूढ़े मां-बाप और अनब्याही बहनों का हवाला देते हुए सुधरने का मौका देने की और सजा में नरमी की अपील की। लेकिन कोर्ट के 4 दोषियों को दिये गये फांसी की सजा के बाद वकील इमरान गनी खान ने कहा कि वह इस फैसले को ऊपरी कोर्ट में चुनौती देंगे।

वहीं दूसरी ओर इस मामले में NIA की ओर से पेश हुए सरकारी वकील लल्लन प्रसाद सिन्हा ने कोर्ट से दोषियों के लिए फांसी मांगी थी। सरकारी वकील का कहना ता कि सभी दोषियों ने सुनियोजित तरीके से बम धमाके को अंजाम दिया। जिससे निर्दोष आम जनता की मौत हुई और दोषी इतने खतरनाक हैं कि इनमें से पांच दोषी तो बोधगया ब्लास्ट के भी जिम्मेदार हैं।

NIA कोर्ट में गांधी मैदान सीरियल बम ब्लास्ट में 8 साल तक यह केस चला, जिसमें कुल चार जजों ने सुनवाई की थी। इस मामले में NIA के स्पेशल जज मनोज कुमार सिन्हा की कोर्ट में कुल 187 चश्मदीदों की गवाही दर्ज हुई थी, लेकिन इसी दरम्यान जज मनोज कुमार सिन्हा का ट्रांसफर हो गया।

जिसके कारण वह इस मामले में फैसला नहीं दे सके। इसके बाद स्पेशल जज अजीत कुमार सिन्हा और स्पेशल जज दीपक कुमार की कोर्ट में भी यह मामला चला। अंतत: स्पेशल जज गुरुविंदर सिंह मल्होत्रा ने सोमवार को इस मामले में अपना फैसला सुनाया।

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर 27 अक्तूबर 2013 को पटना के गांधी मैदान में भाजपा के तत्कालीन भावी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली आयोजित की गई थी। जिसमें दोषियों के द्वारा यह बम धमाके किये गये थे। इस मामले में जांच के बाद NIA ने 22 अगस्त 2014 को स्पेशल कोर्ट रांची में आरोपपत्र दाखिल किया था।
इसे भी पढ़ें: दरभंगा ब्लास्ट: एनआईए ने पाकिस्तान को किया बेनकाब, Lashkar-e-Taiba के जरिए हुई करोड़ों फंडिंग
किसान आंदोलन में खालिस्तानी संगठनों का हाथ, एनआईए की रडार पर कई एनजीओ