कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि 5 या 6 अक्टूबर को होने वाले राज्य मंत्रिमंडल विस्तार से पहले वह बीजेपी में शामिल होंगे।
आपको बता दें कि कांग्रेस के शासनकाल के दौर से ही राणे कांग्रेस आलाकमान से माराज चल रहे थे। दरअसल कांग्रेस ने उन्हें कई बार मुख्यमंत्री बनने का सपना दिखाया लेकिन आखिरी वक्त किसी और को मुख्यमंत्री बना देते थे। महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में राणे का अच्छा प्रभाव है और वहां की कांग्रेस इकाई में राणे के ही लोग शामिल थे। प्रदेश कांग्रेस ने बीते शनिवार को अपनी सिंधुदुर्ग इकाई भंग कर दी। इसका जवाब देते हुए राणे ने सिंधुदुर्ग में एक विशाल रैली कर अपनी ताकत का शक्ति परीक्षण किया और घोषणा की कि वह नवरात्र में कांग्रेस से अलग राह चुन लेंगे।
अब जबकि नवरात्र शुरू हो चुकी है तो उम्मीद की जा रही है कि राणे अपने गृह क्षेत्र कणकवली में प्रेस के सामने कांग्रेस से नाता तोड़ने एवं अपनी आगे की योजना की घोषणा करेंगे। हालांकि उनके कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने की चर्चाएं पिछले छह महीने से चल रही हैं।
मौजूदा समय में भाजपा और शिवसेना गठबंधन में काफी कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसलिए भाजपा राणे को शामिल कर शिवसेना को उसके सबसे मजबूत गढ़ कोकण में चुनौती देना चाहती है।
यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा की ओर बढ़ते राणे के कदम शिवसेना को और परेशान कर रहे हैं। यही कारण है कि वह बार-बार राज्य सरकार से हटने की धमकी दे रही है।
आपको बता दें कि एक समय नारायण राणे को शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे का दाहिना हाथ माना जाता था। उन्हें भाजपा-शिवसेना गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री पद भी दिया गया था। लेकिन बाला साहेब के पुत्र प्रेम और उद्धव के शिवसेना में बढ़ते कद के कारण राणे को शिवसेना छोड़ कांग्रेस में शामिल होना पड़ा।
नारायण राणे 2005 में अपने समर्थक विधायकों के साथ शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में चले आए। तब कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष रहीं प्रभा राव ने उन्हें जल्दी ही मुख्यमंत्री बनाने का आश्र्वासन दिया था। लेकिन कांग्रेस में राणे की यह महत्वकांक्षा कभी पूरी नहीं हो सकी। यहां तक कि उन्हें संगठन में भी कभी कोई महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी गई।