राम मंदिर की लहर का मुकाबला करने को जब ‘मिले मुलायम-कांशीराम…’

2 जून 1995 में लखनऊ में हुआ गेस्ट हाउस कांड

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कांशीराम और मुलायम सिंह यादव
कांशीराम और मुलायम सिंह यादव

Mulayam Singh Yadav: समाजवादी पार्टी के संस्थापक और यूपी के तीन बार सीएम रह चुके मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने 82 साल की उम्र में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में सोमवार 10 अक्टूबर को आखिरी सांस ली। इनके निधन पर यूपी की योगी सरकार ने राज्य में 3 दिन का राजकीय शोक रखा है। मुलायम सिंह यादव ने अपने राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे, उनमें से एक है जब मिले मुलायम-कांशीराम…, दरअसल यह तो आधा नारा है, लेकिन इसके पीछे की कहानी कुछ इस प्रकार से है…

Mulayam Singh Yadav: कांशीराम और मुलायम सिंह यादव
Mulayam Singh Yadav: कांशीराम और मुलायम सिंह यादव

बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए जब मिले मुलायम-कांशीराम

6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को कारसेवकों ने गिरा दिया। तब यूपी में बीजेपी की सरकार थी और सीएम थे कल्याण सिंह। बाबरी मस्जिद वाली घटना के बाद, उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। 6 महीने बाद यूपी में विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें माना जा रहा था कि बीजेपी का जीतना तय है, लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें, तो मुलायम सिंह ने तब राजनीति अखाड़े में गजब का दांव चला था।

उन्होंने तब अपने धुर-विरोधी बहुजन समाज पार्टी से समर्थन ले लिया। उसके बाद मुलायम और कांशीराम साथ हो गए। बताया गया कि इन दोनों का मकसद एक ही था, बीजेपी को सत्ता में न आने देना। मुलायम के मास्टर स्ट्रोक का प्रभाव विधानसभा चुनाव में दिखा भी। विधानसभा चुनाव के बाद मुलायम सिंह ने कांशीराम व अन्य निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर यूपी में सरकार बना ली। तब एक नारा काफी फेमस हुआ था, जो इस प्रकार से है- “मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम।”

गेस्ट हाउस कांड के बाद गिर गई थी मुलायम सरकार

हालांकि, मुलायम सिंह यादव और कांशीराम यानी सपा और बसपा की यह गठबंधन की सरकार 2 साल तक ही चल पाई। मालूम हो कि 2 जून 1995 में लखनऊ में गेस्ट हाउस कांड हो गया। बताया गया कि कांशीराम के साथ तब मायावती भी बसपा में सक्रिय हो गई थीं। इसके साथ ही मायावती और मुलायम सिंह यादव की पार्टी में कुछ मतभेद भी हुए। इसको लेकर मायावती नाराज थीं और सपा से गठबंधन तोड़ने के लिए लखनऊ के एक गेस्ट हाउस में विधायकों की बैठक बुलाई। बताया गया कि बैठक शुरू होते ही सपा के विधायकों ने हंगामा कर दिया और उनपर आरोप लगा कि उन्होंने मायावती को जान से मारने की कोशिश भी की। हालांकि सुरक्षाकर्मियों ने मायावती को बचा लिया था। उसके बाद बसपा ने सपा के साथ गठबंधन तोड़ दिया और राज्य में मुलायम सिंह की सरकार गिर गई।

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