भारत के सबसे धनी और सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी ने कहा कि आर्थिक सुधारों के तीन दशक में देश ने कई मामलों में सुधार तेजी से हुआ है। मगर इसका लाभ कई नागरिकों को नहीं मिल रहा है। एक अखबार के कॉलम में मुकेश अंबानी ने लिखा कि उदारीकरण के 30 वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था 10 गुना बढ़ी है।
साथ ही और कहा कि हम ‘अभावों की अर्थव्यवस्था’ से आज ‘सुलभता की अर्थव्यवस्था’ बने है। । मगर, आने वाले समय में अर्थव्यवस्था को सभी के लिए समृद्धि लाने वाला बनाना होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि 2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था चीन व अमेरिका की बराबरी कर सकती है। अंबानी ने लिखा, 1991 ने भारत को वह हिम्मत व दूरदर्शिता दी, जिसने अर्थव्यवस्था की दिशा और निर्धारक तत्व तय किए।

मुकेश अंबानी ने कहा कि, आज हम उस समय को नहीं सोच सकते जब टेलीफोन या गैस कनेक्शन के लिए कई वर्ष इंतजार करना पड़ता था। कंप्यूटर खरीदने के लिए सरकार से पूछना पड़ता था। और कहा कि 2047 के लिए हमारा लक्ष्य अमेरिका और चीन के समकक्ष विश्व की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना होना चाहिए। यही हमारी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष का उत्सव है।
आगे उन्होने और कहा कि आगे रास्ते और मुश्किल है, महामारी व कई अनावश्यक मुद्दे ध्यान भटकाएंगे और हमारी ऊर्जा खर्च करेंगे। हमें भटकना नहीं होगा। हमारे सामने अपने बच्चों और युवाओं के प्रति नए अवसर और जिम्मेदारी हैं। हम अगले 30 वर्षों को आजाद भारत के इतिहास के सबसे अच्छे समय में बदल सकते हैं। इसके लिए आत्मनिर्भर और विश्व का सहयोग करने वाला भारत का मॉडल बनाना चाहिए।
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मुकेश अंबानी ने कहा, हमें समृद्धि के सही मायने को समझना होगा। । इसे केवल व्यक्तिगत और वित्तीय संपन्नता से जोड़ा गया है। सभी के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, अच्छे घर, साफ पर्यावरण, खेल, संस्कृति, कला और सभी को विकास के अवसर भी इसमें शामिल हैं। कम शब्दों में कहें तो सभी के लिए खुशियां इसका वास्तविक मतलब है।
मुकेश अंबानी ने यह भी कहा कि, हमारा घरेलू बाजार महाद्वीप के बराबर है। हमारे 100 करोड़ के मध्यम वर्ग की आय बढ़ेगी तो इसका चमत्कारी असर अर्थव्यवस्था की प्रगति में दिखने लगेगा। आंकड़ों के लिहाज से हम अमेरिका और यूरोप के बराबर का बाजार अपने ही देश में पा सकते है।