प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता की पुरजोर वकालत करते हुए कहा कि देश दो कानूनों पर नहीं चल सकता, ठीक उसी तरह जैसे एक परिवार के अलग-अलग सदस्यों के लिए अलग-अलग नियम काम नहीं करते। पीएम मोदी की टिप्पणियां विधि आयोग द्वारा समान नागरिक संहिता पर विभिन्न हितधारकों से विचार मांगने के बाद आई हैं। इस बीच ऐसा माना जा रहा है कि सरकार संसद के अगले सत्र में एक विधेयक ला सकती है।
दरअसल मंगलवार को मध्य प्रदेश में पार्टी के “मेरा बूथ सबसे मजबूत” अभियान के तहत भाजपा कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जो लोग देश के लिए एक समान कानून का विरोध करते हैं, वे अपने हितों के लिए लोगों को भड़का रहे हैं। भारतीय मुसलमानों को यह समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए उन्हें भड़का रहे हैं और नुकसान पहुंचा रहे हैं।” उन्होंने कहा कि संविधान भी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की बात करता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी समान नागरिक संहिता के लिए कहा है।
पीएम मोदी ने प्रतिबंधित ‘तीन तलाक’ पर सवाल उठाए और सवाल किया कि अगर यह इस्लाम से अलग नहीं है तो मिस्र, इंडोनेशिया, कतर, जॉर्डन, सीरिया, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे मुस्लिम बहुल देशों में इसका चलन क्यों नहीं है। उन्होंने बताया कि मिस्र में, जहां सुन्नी मुसलमानों की आबादी 90 फीसदी है, तीन तलाक को 80 से 90 साल पहले खत्म कर दिया गया था।
पीएम ने कहा, ”जो लोग तीन तलाक की वकालत करते हैं, वे वोट बैंक के भूखे हैं, वे मुस्लिम बेटियों के साथ घोर अन्याय कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि तीन तलाक सिर्फ महिलाओं से संबंधित नहीं है, बल्कि इसने पूरे परिवारों को तबाह कर दिया है। जब एक महिला को उम्मीदों से भरी शादी के बाद तीन तलाक के बाद वापस भेज दिया जाता है, तो यह उसके माता-पिता और भाई ही होते हैं जो उसका दर्द महसूस करते हैं। कुछ लोग मुस्लिम बेटियों पर तीन तलाक का फंदा लटकाना चाहते हैं ताकि उन्हें उन पर अत्याचार करने की खुली छूट मिल सके।” उन्होंने कहा कि ये वही लोग हैं जो तीन तलाक का समर्थन करते हैं।
उन्होंने कहा, “यही कारण है कि मैं जहां भी जाता हूं, मुस्लिम बहनें और बेटियां भाजपा और मोदी के साथ खड़ी होती हैं।” पीएम मोदी ने “भाजपा पर निशाना साधने वालों” की भी आलोचना करते हुए कहा कि अगर वे वास्तव में मुसलमानों के शुभचिंतक होते, तो समुदाय के अधिकांश परिवार शिक्षा और रोजगार में पिछड़ नहीं जाते और कठिन जीवन जीने को मजबूर नहीं होते।
मालूम हो कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम के तहत तीन तलाक पर प्रतिबंध है, जिसके तहत तीन साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत देने पर कोई रोक नहीं है, बशर्ते अदालत पहले शिकायतकर्ता महिला को भी सुने।
इस महीने की शुरुआत में, विधि आयोग ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित हितधारकों से विचार मांगकर समान नागरिक संहिता पर एक नई परामर्श प्रक्रिया शुरू की। समान नागरिक संहिता का अर्थ है देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होना जो धर्म पर आधारित न हो।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले सप्ताह कहा था कि समान नागरिक संहिता भारत के संविधान के निदेशक सिद्धांतों का हिस्सा है और विपक्ष इसे “वोट बैंक की राजनीति” बताकर मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है।