जहां एक तरफ जम्मू-कश्मीर में सेना ऑपरेशन ऑल आउट चला रही है। वहीं दूसरी तरफ पत्थरबाजी और प्रदर्शन की वजह से आम जनजीवन अस्त व्यस्त है। जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सभी दलों की बैठक बुलाकर केंद्र से घाटी में रमजान और अमरनाथ यात्रा के लिए एकतरफा सीजफायर की मांग की है। यह बात उन्होंने श्रीनगर के शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में राज्य विशेषकर कश्मीर के मौजूदा हालात पर चर्चा और शांति व कानून व्यवस्था बनाए रखने के मुद्दे पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद पत्रकारों से से बातचीत करते हुए कहा ।

जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि साल 2000 में जैसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सीजफायर का एलान किया था अभी भी मोदी सरकार को वैसा ही करना चाहिए। हाल ही घाटी में पत्थरबाजी की घटना के दौरान चेन्नई के पर्यटक की मौत हो गई थी।

उन्होंने कहा कि रोज-रोज की मुठभेड़ों, प्रदर्शनों और तलाशी अभियानों से आम आदमी को बहुत परेशानी हो रही है। कुछ ऐसे कदम उठाएं जाएं, जिनसे यहां सुरक्षा-विश्वास का माहौल बने और आम लोगों को राहत मिले। महबूबा ने कहा कि आगे पाक रमजान महीना, श्री अमरनाथ यात्रा और ईद भी आने वाली है, इसलिए केंद्र को एकतरफा संघर्ष विराम के विकल्प पर विचार करना चाहिए।

ये होता है सीजफायर
आतंकियों या सीमा पर जब सेना कार्रवाई नहीं करती है उसे सीजफायर या युद्धविराम कहते हैं। सीजफायर में सुरक्षाबल पहले कार्रवाई नहीं करते हैं। जिस तरफ से पहले गोलीबारी होती है उसे सीजफायर उल्लंघन कहते हैं। नवंबर 2000 में वाजपेयी सरकार ने सीजफायर का एलान किया था।रजमान की वजह से घाटी में सीजफायर का एलान किया गया था। रमजान में घाटी में सुरक्षाबलों की कार्रवाई से लोगों को परेशानी होती है। सुरक्षाबलों को कोई कार्रवाई न करने का आदेश दिया गया था। आतंकी हमला होने पर कार्रवाई की पूरी छूट मिली थी। रमजान-अमरनाथ यात्रा की वजह से फिर सीजफायर की मांग उठ रही है।

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