मेघालय कोयला खदान में बनी गुफा में अभी भी 13 लोगों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है। लाख कोशिशों के बाद भी अभी तक सकरी से उनका रेस्क्यू नहीं हो पाया है। अभी ये पूरी तरह से साफ नहीं हो पाया है कि मजदूर जिंदा भी हैं। या मर गए हैं, वहीं एनडीआरएफ की टीम ने ऐसे अब तक का सबसे बड़ा रेक्स्यू ऑपरेशन बताया है। बता दें, कि 12 दिसंबर को साइपुंग जिले के कसान में गैरकानूना खदान धंस गया था, जिसके अंदर 13 लोग फंस गए थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फ़ोर्स टीम ने इस ऑपरेशन के बारे में बताया कि यह अब तक का सबसे बड़ा है। पिछले 15 दिनों से संकरी गुफा के अंदर फंसे 13 लोगों को बचाना सबसे बड़ा चुनौती भरा कार्य रहा है।
एनडीआरएफ के कमांडेंट एसके शास्त्री के मुताबिक, हमने उन्हें बचाने के लिए अब तक जो प्रक्रिया अपनाई वह गलत थी गोताखोर लगातार उन्हें अंदर ढूंढ रहे थे। शास्त्री ने कहा कि यह ऑपरेशन एनडीआरएफ के इतहास में अब तक का सबसे चुनौती भरा कार्य रहा। हमारे गोताखोरों को इस तरह की ट्रेनिंग नहीं दी गई। इसलिए यह और भी मुश्किल रहा। उन्होंने कहा की खदान के साथ नदी का पानी उसमे भरता चला गया। उन्होंने कहा, पहले ऐसा लग रहा था कि ये बड़ी घटना नहीं है। लेकिन अब पता चल रहा है की खदान धसने के बाद अंदर बड़ी गहरी गुफा बन गई थी।
बता दें बीते हफ्ते गुरुवार के दिन लुमथरी इलाके के तीन स्थानीय निवासियों सहित कुल 13 मजदूर कोयला खदान में फंस गए थे। ऐसा माना जा रहा है कि खनिकों ने तीन-चार दिन पहले ही खनन शुरू किया था। उसी दिन से फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है लेकिन कोई सफलता नहीं मिल पाई है। एनडीआरएफ के 60 से अधिक सदस्यों वाले दो दल शुक्रवार की सुबह ही पहुंच गए थे। इसके अलावा राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के 12 सदस्य घटनास्थल पर पहले से ही मौजूद थे।
जानकारी के मुताबिक ये खदान 370 फीट गहरी है और पानी का स्तर 70 फुट है। कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि इनमें से पांच लोग बाहर आ गए थे लेकिन इन पांच लोगों के बारे में भी अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है। बता दें नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल ने 17 अप्रैल, 2014 से राज्य में असुरक्षित तरीके से कोयला खनन पर अंतरिम रोक लगा दी थी। वहीं पुलिस ने खदान का संचालन करने वाले जेम्स सुखलैन के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। फिलहाल सुखमैन फरार चल रहा है।