केजरीवाल सरकार एक बार फिर विपक्षियों के निशाने पर है। जिंदा नवजात को मृत बताने वाले मैक्स अस्पताल पर लगी रोक को केजरीवाल सरकार ने हटा लिया है। इसी को लेकर सियासत गरमा गई है और केजरीवाल सरकार पर तरह-तरह के इल्जाम लगाए जा रहे हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने ट्वीट कर सीएम केजरीवाल को कठघरे में खड़ा कर दिया है। उनका कहना है कि मैक्स अस्पताल से केजरीवाल सरकार की कितने में डील हुई है। यही नहीं आप पार्टी के पूर्व सदस्य कपिल मिश्रा ने भी आरोप लगाया है कि मैक्स अस्पताल के केस में जानबूझकर ऐसा ऑर्डर लिखा गया जिसपर स्टे लगना ही था।
दिल्ली सरकार के इस कदम से मैक्स अस्पताल को बड़ी राहत मिली है। फाइनेंस कमिश्नर ने मैक्स अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने के दिल्ली सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है, जिसके बाद मैक्स अस्पताल में फिर से नए मरीजों का इलाज शुरू हो गया है। बता दें कि कुछ दिन पहले अस्पताल ने जीवित नवजात को मृत बताकर परिजनों को सौंप दिया था, जिसके बाद दिल्ली सरकार ने इस मामले में जांच बिठाई थी। जांच रिपोर्ट में दोषी पाए जाने के बाद दिल्ली सरकार ने अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया था।
मनोज तिवारी ने केजरीवाल सरकार पर सीधे हमला करते हुए उन पर जमीर बेचने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा है कि मुझे पहले से शंका थी और वही हुआ, इस कदम से मुझे कोई आश्यर्य नहीं क्योंकि केजरीवाल सरकार का यही चरित्र है।
जो शंका थी फिर वही हुआ,पर मुझे कोई आश्चर्य नहीं कयुँकि केजरीवाल सरकार का यही चरित्र है ... @msisodia ‘s Financial Commissioner has reinstated Max Hospital..
— Manoj Tiwari (@ManojTiwariMP) December 20, 2017
सवाल - किने दी डील होई मालिक @ArvindKejriwal
इसको कहते हैं जमीर बेचना !! pic.twitter.com/uXZsrqDks0
इसी के साथ सोशल मीडिया पर भी केजरीवाल सरकार को घेरा गया है। कई यूजर्स केजरीवाल सरकार से जवाब मांग रहे हैं कि मैक्स अस्पताल पर लिया गया एक्शन वापस क्यूं ले लिया गया है।
गोरखपुर में FIR हुई अपराधी डॉक्टर जेल में
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) December 20, 2017
हरियाणा में FIR हुई, लाइसेंस रद्द करने जांच रिपोर्ट के साथ recomendation भेजी गई
दिल्ली में Max Hospital केस में ना FIR ना नियमों के तहत reomendation
जानबूझकर गलत लिखा गया आर्डर जो stay होना ही था। डील??
ये पब्लिक है सब जानती है pic.twitter.com/yauUSqEqi8
बता दें कि दिल्ली सरकार ने जब अस्पताल पर रोक लगाई तो अस्पताल ने उपराज्यपाल के पास अपनी रिपोर्ट भेजी जिसे उपराज्यपाल ने कोर्ट ऑफ फाइनेंस कमिश्नर के पास भेजा। इसके बाद केजरीवाल सरकार अस्पताल के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर सकी जिससे रोक पर स्टे लग गया।