Maharashtra बंद के दिन सीबीआई ने नागपुर में हरकत दिखाई और महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के आवास पर छापेमारी की। खबरों के मुताबिक सीबीआई के पास अनिल देशमुख के बेटे सलिल देशमुख के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट भी है।
मनी लॉन्ड्रिंग और मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के द्वारा 100 करोड़ की वसूली के आरोप में सीबीआई के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय के रडार पर चल रहे महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख गंभीर संकट में फंसते नजर आ रहे हैं।
एंटिलिया मामले के बाद अब तो संकट देशमुख के परिवार पर भी मड़राने लगा है। सूत्रों के मुताबिक करीब 7 सीबीआई के अधिकारियों ने सुबह के करीब 8 बजे अनिल देशमुख के आवास पर धावा बोला। बताया जा रहा है छापे के दौरान परिवार का कोई सदस्य घर पर मौजूद नहीं था। घर के बाहर लगी नागपुर पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था जस की तस है और सीबीआई अधिकारी घर के भीतर छापेमारी को अंजाम दे रहे हैं।
100 करोड़ की वसूली का लगा है दाग
एंटिलिया में दाग लगने के बाद अनिल देशमुख 100 करोड़ वसूली का आरोप झेल रहे हैं। इसके साथ में प्रवर्तन निदेशालय भी देशमुख के पीछे पड़ा है। अब बेटे की करतूत ने देशमुख को मुह के बल धकेल दिया है। अनिल देशमुख के बेटे सलिल देशमुख ईडी की रडार पर आ गए हैं। 300 करोड़ की लैंड डील मामले में प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रही है।
300 करोड़ के लैंड डील मामले में 15 प्लॉट शामिल हैं। एक अधिकारिक अखबार से पता चलता है कि ये प्लॉट प्रीमियर पोर्ट लिंक्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर खरीदे गए थे, जिसमें सलिल देशमुख की हिस्सेदारी है।
खबरों के अनुसार, लगभग 300 करोड़ रुपये मूल्य की 8.3 एकड़ जमीन NH 348 पलासपे फाटा से JNPT से थोड़ी दूरी पर स्थित है। इसमें से जमीन का एक टुकड़ा एक स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से भी खरीदा गया था।
करोड़ों के जमीन घोटाले में फंसा है बेटा
ईडी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सलिल का इस कंपनी में कंट्रोलिंग स्टेक है। इस मुद्दे पर अनिल देशमुख ने कोई बयान नहीं दिया है। एक अधिकारिक अखबार के पास उपलब्ध डाटा के अनुसार जमीन का ये लेनदेन 2006 और 2015 के बीच किया गया था। पत्रकारों ने खबर को पुख्ता करने क लिए इलाके का दौरा भी किया है। इस दौरान पाया कि एक दूसरे से सटे कई प्लॉट खरीदे गए थे। बता दें कि ये जमीनें जसाई तलाठी सीमा, उरण तहसील के धूतुम गांव में हैं।
पत्रकारों ने जब दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी रामदशेठ ठाकुर के रिश्तेदार चंद्रभागा पाटिल से सवाल किया तो उन्होंने बताया कि “ये प्लॉट अनिल देशमुख और उनके परिवार के सदस्यों को बेचे गए थे। यह एक कंपनी (प्रीमियर पोर्ट लिंक्स प्राइवेट लिमिटेड) के नाम से रजिस्टर हुए। इसके अलावा कई किसानों ने अपनी जमीन बेच दी और ज्यादातर को नकद पेमेंट किया गया।
बता दें कि मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर जिलेटिन की कुछ छड़ बरामद हुई थी। जांच में खुलासा हुआ था कि, यह कांड करने वाला मुंबई पुलिस का क्राइम ब्रांच का अधिकारी सचिन वाजे ही था। इसके बाद वाजे को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया था।
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त ने लगाया आरोप, गई गृह मंत्रालय की कुर्सी
कुछ समय बाद वाजे को एनआईए ने गिरफ्तार किया और पूछताछ करने लगी। इस बीच परमबीर का ट्रांसफर हुआ। अपने ट्रांसफर से नाराज परमबीर ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक खत लिख, अनिल देशमुख पर जबरन वाजे से वसूली का आरोप लगाया था। इस खते के बाद मुंबई की राजनीति में आया भुचाल शांत नहीं हुआ है।
सभी आरोपों को देशमुख और एनसीपी नेता शरद पवार खारिज करते रहे। मामले को फंसता देख परमबीर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने यह कह कर परमबीर सिंह की याचिका खारिज कर दी कि, आप पहले हाईकोर्ट जाइए।
हाईकोर्ट से परमबीर सिंह की जीत हुई, कोर्ट ने मामले को सीबीआई जांच का आदेश दे दिया। कोर्ट के इस फैसले के बाद पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने पद से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान अनिल देशमुख ने कहा था कि, कोर्ट ने मेरे खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया है। अब मैं इस पद के लायक नहीं हूं।
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