हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता की उत्पत्ति मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान श्रीकृष्ण ने की थी। गीता जयंती हर वर्ष मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी 18 दिसंबर को मनाई जाती है। इस दिन कुरुक्षेत्र के मैदान में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता के उपदेश दिए थे। महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण ने जो उपदेश दिए थे, इनमें आज के मैनेजमेंट के मंत्र छिपे हुए हैं। मैनेजमेंट संस्थानों में जिस मैनेजमेंट की बात आज होती है वह कहीं न कहीं महाभारतकालीन गीता के उपदेशों से प्रेरित है। हेड, स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और गीता पर शोधकर्ता डॉ.पीएन मिश्रा से जानते हैं गीता के कुछ चुनिंदा प्रबंधन सूत्र जो जीवन में काम आते हैं।

इस एकादशी का सतानत धर्म में बहुत बड़ा महत्व है। जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है मोक्षदा एकादशी यानी एकादशी का जो व्रत और पूजा मोक्ष प्रदान करता है। मान्यताओं के मुताबिक इस एकादशी के दिन व्रत रखने से पूर्वजों के लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं। सनातम धर्म में मोक्ष का मतलब सदगति यानी जन्म मरण के बंधन से मुक्त होना है। मान्यता यह भी है कि इस दिन व्रत रखने से  मनुष्यों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए इस एकादशी का महत्व और लाभ ना सिर्फ अपने लिए बल्कि पूरे परिवार और पूर्वजों के लिए भी है।

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मोक्षदा एकादशी का व्रत बहुत शुभ होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-पाठ और कीर्तन करने से पापों का नाश होता है और आपके जीवन की बाधाएं दूर होती है, प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को मानसिक और भौतिक सुख की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के मुताबिक मोक्षदा एकादशी के दिन पापों को नष्ट करने और पितरों के को स्वर्ग द्वार मिले, इसलिए भगवान कृष्ण की तुलसी की मंजरी और धूप-दीप से पूजा की जाती है। इस दिन गीता पढ़ने का विशेष फल मिलता है। इसलिए इस दिन गीता का अध्ययन करने की सलाह दी जाती है। बेहतर यह होता है कि किसी ज्ञानी व्यक्ति से गीता के श्लोकों को समझना और उसे जीवन में उतारना चाहिए।

मोक्षदा यानी बैंकुंठ एकादशी के दिन व्रत रखने के दौरान भगवान कृष्ण का पूजा पाठ करना चाहिए और गीता का जहां तक संभव हो सकें अध्ययन कर उसे जीवन में आत्मसात करने की कोशिश करनी चाहिए। इस दिन तुलसी पूजा का भी विशेष महत्व होता है। व्रत का पारण आप सूर्यास्त में पूजा के बाद कर सकते हैं। कई लोग इस दिन व्रत को तोड़ने की बजाय अगले दिन पारण करते हैं। इस दिन तुलसी के पास शाम में दीपक जलाने और पूजा का विशेष लाभ होता है।

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