नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के अनुसार, अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट निर्देशों की अवहेलना करके करोड़ों रुपए के विज्ञापन जारी किए हैं। इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने अन्य राज्यों में भी करोड़ों रुपए के विज्ञापन जारी किए।
सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार, “दिल्ली सरकार ने अपने टीवी विज्ञापनों में ‘दिल्ली सरकार’ की जगह ‘केजरीवाल सरकार’ लिखा और इन विज्ञापनों पर 5.38 करोड़ खर्च किये गए। सरकार ने फरवरी 2016 में 14 राज्यों के 26 राष्ट्रीय और 37 प्रादेशिक अखबारों में विज्ञापन दिए।”
सीएजी की यह रिर्पोट शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा में पेश की गई। इस रिर्पोट में दिल्ली सरकार के कामकाज के तरीकों पर सवाल कई खड़े किए गए हैं। कई विभागो ने नियमों का उल्लंघन करते हुए सरकारी धन का गलत इस्तेमाल किया है। दिल्ली सरकार के सूचना और प्रचार विभाग (डीआइपी) ने सरकार की नीतियों को विभिन्न माध्यमों के जरिए प्रचारित करता है।
मुख्यमंत्री ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक शशिकांत शर्मा पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह मजबूरी में ऐसा कर रहे हैं। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि आम आदमी पार्टी ने अपने पहले साल में सरकार ने दिल्ली के बाहर विज्ञापन जारी करने में 29 करोड़ रुपये खर्च किए, जो उसकी जिम्मेदारी के बाहर था।
सीएजी ने 1 अप्रैल 2013 से मार्च 2016 की अवधि के दौरान प्रसारित किए गए विज्ञापनों के संबंध में डीआइपी के कागजों की जांच की। सीएजी ने दिल्ली जलबोर्ड और पांच अन्य विभागों की ओर से जारी विज्ञापनों की जांच की। साल 2013-15 की अवधि के दौरान डीआइपी ने विज्ञापनों पर व्यय अन्य प्रभार शीर्ष के तहत आवंटित बजट जो कि 2013-14 में 29.66 करोड़ रुपए और 2014-16 में 20.23 करोड़ था, में से पूरा किया गया। वह विज्ञापन और शीर्ष के तहत कोई आवंटन नहीं था। 2015-16 के बजट के लिए डीआइपी ने 20.90 करोड़ के आबंटन का प्रस्ताव रखा, जिसमें अन्य प्रभारों के लिए 20 करोड़ रुपए और शेष वेतन और अन्य आवर्ती व्यय शामिल थे।
जबकि डीआइपी को विज्ञापन और प्रचार के लिए 500 करोड़ रुपए और अन्य प्रभारों शीर्ष के तहत 22 करोड़ रुपए, कुल मिलाकर 522 करोड़ रुपए आबंटित किए गए। बाद में ये संशोधित अनुमानों में घटाकर 100 करोड़ रुपए कर दिया गया है। 2013-16 के दौरान सीएजी के सामने आया कि डीआइपी की ओर से 81.23 करोड़ के व्यय के अलावा 2015-16 में प्रसारित किए गए विज्ञापनों के लिए 2016-17 में 20.23 करोड़ की राशि का भुगतान किया गया, जो कानून से परे हुए विज्ञापनों पर खर्च 2015-16 के प्रकाशित विज्ञापनों के कुल खर्च को 101.46 करोड़ पर ले आया। डीआइपी ने लेखा परीक्षक को सूचित किया कि 2015-16 के दौरान प्रसारित किए गए विज्ञापनों के संबंध में करीब 12.75 करोड़ की देयता भी थी।