कानपुर में खेले गये आईपीएल टूर्नामेंट के दो क्रिकेट मैच उत्तर प्रदेश सरकार को करोड़ों का चूना लगाकर निकल चुके हैं। इन मैचों के लिये बेचे गये टिकट पर लगभग तीन करोड़ रूपये का मनोरंजन कर बनता है। अब कानपुर जिला प्रशासन रिकवरी नोटिस लिए घूम रहा है लेकिन न तो इसे उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ लेने को तैयार है और न गुजरात लायन्स की टीम।
कानपुर का प्रसिद्ध ग्रीन पार्क स्टेडियम उत्तर प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय स्तर का इकलौता क्रिकेट ग्राउण्ड है। ब्रिटिश काल से यहाँ अंतरराष्ट्रीय मैच होते आ रहे हैं लेकिन यूपी की अपनी कोई टीम न होने के कारण यहाँ आईपीएल के मैच नहीं हो पाते थे। इस पर आईपीएल कमिश्नर राजीव शुक्ला ने व्यक्तिगत प्रयास कर कानपुर के ग्रीन पार्क को गुजरात लायन्स टीम के होम ग्राउण्ड के रूप में दर्ज करा दिया।
इस पर 10 मई और 13 मई को टूर्नामेंट के दो मैच हुए। चूंकि आईपीएल मैच देश के लिए नहीं बल्कि व्यवसायिकता के लिए खेले जाते हैं इसलिये सरकार ने इस पर मनोरंजन कर लगाया हुआ है। मैच की तरीख तक यूपी के खेल मंत्री चेतन चौहान इन मैचों को कर फ्री नहीं करा सके थे। तैयारियां पूरी होने के कारण मैच तो नहीं रोका गया लेकिन अब मैच होने के बाद उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) ने तीन करोड़ भरने से मना कर दिया। इसके बाद अब प्रशासन ने गुजरात लायन्स की टीम को रिकवरी नोटिस भेजा है।
हालांकि यूपीसीए ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि आईपीएल से उनका लेना देना नहीं है और यह गुजरात लायंस का होम ग्राउंड है। इसलिये उससे टैक्स लिया जाना चाहिये। लेकिन यहा यूपीसीए के खेल को भी समझना होगा। राज्य सरकार ने ग्रीन पार्क स्टेडियम तीस सालों के लिये यूपीसीए को लीज पर दिया है।
अगर उसका इस प्रकरण से कोई लेना देना नहीं है तो उसने किस अधिकार से लीज पर लिया हुआ ग्राउण्ड गुजरात लायन्स की टीम को हस्तान्तरित कर दिया था। अब सवाल यह है कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार इस अनाधिकार चेष्टा के लिये यूपीसीए के साथ किये गये लीज एग्रीमेण्ट को रद्द करके यूपीसीए को सबक सिखायेगी।