आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर पद से हटाने के पक्ष में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ वोट करने वाले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए़के सीकरी ने लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय पंचायती ट्रिब्यूनल (CSAT) में नॉमिनेट किए जाने के ऑफर को ठुकरा दिया है।

जस्टिस सीकरी इस समय चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के बाद दूसरे सबसे सीनियर जज हैं। वह 6 मार्च को रिटायर होने वाले हैं। इसी को देखते हुए सरकार ने CSAT में उनके नॉमिनेशन का फैसला पिछले महीने लिया था। उन्होंने रजामंदी दे दी थी। लेकिन रविवार शाम उन्होंने मंजूरी वापस ले ली।

इससे पहले सरकार की ओर से उनके नॉमिनेशन के प्रस्ताव को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सवाल खड़े करते हुए राफेल डील से जोड़ा था। उन्होंने सीधे पीएम मोदी पर अटैक करते हुए कहा कि वह राफेल घोटाले को कवरअप करने का प्रयास कर रहे हैं।

राहुल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री डर के चलते भ्रष्ट हो गए हैं और संस्थाओं को बर्बाद कर रहे हैं। राहुल से पहले कांग्रेस के सीनियर लीडर अहमद पटेल ने भी इस मसले पर सरकार पर वार किया था। उन्होंने इस नियुक्ति पर कहा था कि सरकार को कई सवालों के जवाब देने की जरूरत है।

सीकरी के मनोनयन पर यह विवाद सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने के तीन दिन बाद रविवार को शुरू हुआ। तीन सदस्यीय पैनल ने सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को 2-1 से हटाने का फैसला लिया था। खड़गे इस फैसले के खिलाफ थे, लेकिन जस्टिस सीकरी और पीएम मोदी के वोट के चलते वर्मा को बहुमत से हटाने का फैसला हुआ।

CSAT क्या है

सीएसएटी (कॉमनवेल्थ सेक्रेटेरिएट आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल) में रेगुलर बेसिस पर नियुक्ति नहीं होती है, इसके साथ ही इस पद के लिए मासिक कोई सैलरी की व्यवस्था भी नहीं होती क्योंकि सलाना दो या तीन सुनवाई ही इस ट्रिब्यूनल में सम्भव हो पाती है।

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