भारतीय अन्तरिक्ष एजेंसी इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन(इसरो) ने आज अपना लोहा मनवाते हुए सफलता के नए आयाम स्थापित किये हैं। इसरो ने आज सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन लॉन्चिंग सेंटर से अन्तरिक्ष में लम्बी छलांग लगाते हुए एक साथ 104 उपग्रहों को सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया है। इसरो ने इसके सफल होने की पुष्टि 10 बजकर 02 मिनट पर कर दी है। इसके साथ ही इसरो ने अपने द्वारा पहले बनाये 23 उपग्रहों को सफलतापूर्वक लांच करने का अपना रिकॉर्ड तोड़ दिया। आज इसरो द्वारा लांच किये गए उपग्रहों में भारत के 3, अमेरिका की प्राइवेट फर्म्स के 96 सैटेलाइट्स हैं। इसके अलावा, 1-1 सैटेलाइट इजरायल, कजाकिस्तान, नीदरलैंड्स, स्विट्जरलैंड और यूएई का है। प्रक्षेपित किये गए उपग्रहों का कुल वजन 1378 किलोग्राम है।
भारत से पहले आज तक सबसे ज्यादा उपग्रहों को एक साथ लांच करने का यह रिकॉर्ड रूस के नाम था। उसने 37 उपग्रहों को एक साथ प्रक्षेपित कर यह मुकाम हासिल किया था। इसरो ने मंगलवार सुबह 5:28 बजे पीएसएलवी-सी 37 कार्टोसेट-2 सीरीज के उपग्रह मिशन के प्रक्षेपण की उलटी गिनती शुरू की थी। इससे ठीक पहले मिशन रेडीनेस रिव्यू कमेटी एंड लांच ऑथोराइजेशन बोर्ड ने प्रक्षेपण को मंजूरी दे दी थी। PSLV-C37 से सैटेलाइट्स को ऑर्बिट में पहुंचाने में करीब 29 मिनट का समय लगा। इनमें आखिरी के 9 मिनट सबसे अहम थे। इसकी वजह इस दौरान सैटेलाइट्स की इन्फॉर्मेशन इसरो को सीधे नहीं मिलनी थी। लांच होने के करीब 16 मिनट बाद रॉकेट का चौथा और आखिरी हिस्सा अलग हुआ और तब यह मॉरिशस के ऊपर था। इसरो का एक सेंटर मॉरिशस में भी है। मॉरिशस से आगे निकलने के बाद सैटेलाइट्स की इन्फॉर्मेशन 9 मिनट तक सीधे नहीं पहुँच रही थी क्योंकि उसके आगे इसरो का कोई सेंटर नहीं है।
अपनी 39 वीं उड़ान के साथ PSLV दुनिया का सबसे भरोसेमंद सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल बन गया है। 1993 से लेकर अब तक की 38 उड़ानों में PSLV ने कई भारतीय और 40 से ज्यादा विदेशी सैटेलाइट स्पेस में पहुंचाए हैं। इस मिशन के लिए वैज्ञानिकों ने PSLV के पावरफुल XL वर्जन का इस्तेमाल किया। 2008 में मिशन चंद्रयान और 2014 में मंगलयान भी इसी के जरिए सफलतापूर्वक भेजे गए थे। इसरो सफल होने के साथ दुनिया की सबसे किफ़ायती स्पेस एजेंसी भी है। इसरो द्वारा सैटेलाइट लॉन्च करना अमेरिका, चीन, जापान और यूरोप से करीब 66 गुना सस्ता पड़ता है। रूस से भी यह चार गुना सस्ता पड़ता है। इसरो की सफलता पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए इसे भारत के लिए गर्व का विषय बताया है।