Adani Ports and Special Economic Zone ने मुंद्रा बंदरगाह पर बड़े पैमाने पर नशीली दवाओं की खेप मिलने के बाद एक ट्रेड एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि वह ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले किसी भी कंटेनर कार्गो को नहीं संभालेंगे। इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ईरान ने अपनी खेप पर प्रतिबंध लगाने को ‘गैर-पेशेवर और असंतुलित कदम’ बताया है।
ईरान, पाक और अफगानिस्तान के कार्गो अब पोर्ट की जिम्मेदारी नहीं होंगे
अडानी ग्रुप ने 11 अक्टूबर को इस बात की घोषणा की है कि मुंद्रा पोर्ट पर 15 नवंबर से उनका टर्मिनल ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कार्गो को नहीं संभाल सकेगा।
इस फैसले पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए ईरानी पुलिस और नारकोटिक ड्रग कंट्रोल अधिकारियों ने बुधवार को अपने भारतीय समकक्षों को इस बाबत जानकारी दी।
करीब तीन हफ्ते पहले भारतीय अधिकारियों ने अडानी ग्रुप के मुंद्रा पोर्ट पर 2.65 बिलियन रुपये की ने 2,988.21 किलो हेरोइन जब्त की थी, जिसकी मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी कर रही है।
राजस्व खुफिया निदेशालय ने हेरोइन की खेप से भरे दो कंटेनरों को जब्त किया था। जिस कार्गो से इसे जब्त किया गया था वह अफगानिस्तान से ईरान के अब्बास बंदरगाह के माध्यम से उतरा था।
इस मामले में ईरानी दूतावास ने कई ट्वीट किए हैं। जिसमें कहा गया है कि ईरान अफगानिस्तान में बढ़ती अस्थिरता के कारण कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। जिसमें नशीले पदार्थों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी भी शामिल है।
इसके साथ ही ईरानी दूतावास ने कहा कि भारत और ईरान के पुलिस और मादक दवा नियंत्रण अधिकारियों ने अवैध मादक पदार्थों की तस्करी में वृद्धि पर साझा चिंताओं और चुनौतियों पर बात की।
मादक पदार्थोें की तस्करी रोकने के लिए सभी देश एकजुट हों
वहीं भारत की ओर से इरान को कहा गया कि कई दशकों से अफगानिस्तान से मादक पदार्थों के उत्पादन और तस्करी ने दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर दिया है। इसके लिए सभी देशों के बीच बिना रूके हुए और एकजुट संघर्ष के साथ-साथ सहयोग और साझेदारी की आवश्यकता है।
वहीं ईरान ने इसके लिए अमेरिका की ओर इशारा करते हुए कहा कि अफगानिस्तान के पड़ोसी के रूप में ईरान अफगानिस्तान में हो रही घटनाओं से महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित है। बदले हालात में अफगानिस्तान में मादक दवाओं के उत्पादन और तस्करी में वृद्धि के पीछे तीन प्रमुख कारकों में विदेशी ताकतों द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा, विभिन्न समूहों के बीच घुसपैठ और गंभीर गरीबी को प्रमुख बताया है।
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