सिक्किम सेक्टर में भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध पर बातचीत करने के लिए कल भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीनी स्टेट काउंसिलर यांग जेची से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद खबर है कि इस बैठक में द्विपक्षीय संबंधों, अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों तथा बहुपक्षीय मामलों एवं ‘बड़ी समस्याओं’ पर चर्चा की गई है। जून के मध्य में शुरू हुए विवाद के बाद भारत और चीन के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के बीच यह पहली बैठक है।
बता दें कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेली के संवाददाता के एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि भारत ने डोकलाम मुद्दे पर अपने रुख एवं हल खोजने के तरीके को स्पष्ट कर दिया है, जिससे इसका शांतिपूर्ण ढंग से समाधान हो सके। सीमा के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच एक पूर्व निर्धारित प्रणाली है और वर्तमान विवाद के बारे में अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शिखर बैठक के दौरान बनी सहमति-हमारे मतभेदों को हमें विवाद नहीं बनने देना है, के आधार पर उस दिशा में आगे बढ़ना होगा।
गौरतलब है कि कई सप्ताह में ऐसा पहली बार है जब चीनी मीडिया ने भारतीय सैनिकों को सीमा से हटाने की मांग नहीं की है। चीन ने अब तक इस बात पर जोर दिया है कि सार्थक बातचीत के लिए सैनिकों को हटाना एक पूर्व शर्त है। कॉमेंट्री में द्विपक्षीय बैठक के प्रभाव को महत्वपूर्ण बताया है, जिसने मित्रता की तरफ बढ़ने के संकेत दिए हैं। बता दें कि इस बैठक के कुछ घंटे बाद ही डोभाल और राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने वाले हैं।
चीन की आधिकारिक एजेंसी सिन्हुआ की कॉमेंट्री सिन्हुआ में कहा गया है कि दोनों देश ‘जन्म से दुश्मन’ नहीं हैं, लिहाजा दोनों के बीच पारस्परिक विश्वास बढ़ाने की जरूरत है। अब ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि दोनों देश डोकलाम विवाद के बाद पैदा हुए तनाव को कम करने की दिशा में आगे बढ़े हैं।
सरकारी मीडिया ने दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंकाओं से बचने की भी अपील की है। सिन्हुआ ने अपनी कॉमेंट्री में आगे लिखा है, ‘आशा करते हैं कि दोनों देशों का विवेक इन्हें साझा उन्नति की तरफ अग्रसर करेगा। दोनों के पास एशिया और विश्व में सह-अस्तित्व तथा उन्नति करने की संभावनाएं हैं। भारत और चीन को संपर्क बढ़ाने की जरूरत है और एक-दूसरे के बीच भरोसा बहाली की जरूरत है।’