भारत ने न्यूक्लियर आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता में  अड़ंगा लगाने वाले देशों को अपनी शक्ति का एहसास दिलाते हुए पूरी दुनिया को एकबार फिर से चकित किया है। बुधवार को भारत सरकार ने अपने बलबूते स्वदेशी परमाणु रिएक्टरों के सहारे 7000 मेगावाट बिजली बनाने का फैसला किया है। इससे भारत ने विकसित देशों को यह साफ संकेत दिया है कि वह अब उनके तकनीक के सहारे नहीं है। कैबिनेट ने 700-700 मेगावाट के परमाणु ऊर्जा के 10 रिएक्टर लगाने का फैसला लिया है।

इस फैसले पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में घरेलू तकनीक पर आधारित प्रेस्यूराजइड हेवी वाटर रिएक्टर्स की 10 यूनिटें लगाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाई गई है। पीयूष गोयल ने कहा कि यह फैसला अहम है और किसी भी देश की तरफ से वर्तमान में परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ाने की यह सबसे बड़ी योजना है। उन्होंने कहा कि इस योजना से 33,400 लोगों को नौकरियां मिलने के आसार हैं। यह योजना स्वच्छ ऊर्जा और मेक इन इंडिया कार्यक्रम को कई कदम आगे की ओर ले जाएंगी।

हालांकि भारत को अभी भी परमाणु ऊर्जा तकनीकी क्षेत्र में 700 मेगावाट से ज्यादा क्षमता के रिएक्टरों के लिए  दूसरे देशों की ओर देखना होगा। हालांकि भारत ने यह संकेत दिया है कि अब उसको किसी भी तकनीक के लिए दूसरे देशों की हर मांग मानने की जरूरत नहीं है। भारत में अभी कनाडा और रूस की मदद से  परमाणु बिजली संयंत्र स्थापित किए गए हैं। इतना तय है कि भारत निर्मित इन संयंत्रों में भारत को सख्त अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करना पड़ेगा।

वर्तमान में भारत परमाणु ऊर्जा से 6780 मेगावाट बिजली उत्पादन करता है। जानकारी के मुताबिक परमाणु इकाइयों को समयबद्ध कार्यक्रम के तहत संभवतः वर्ष 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा। यह वर्तमान की परमाणु बिजली क्षमता को तीन गुणा बढ़ा देगी वर्ष 2021-22 तक इस पूरा करने का लक्ष्य है।

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