
Indian Railway News: देश में मालगाड़ियों से ज्यादा से ज्यादा माल ढुलाई के लिए भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने नई तरकीब निकाली है। “त्रिशूल” और “गरुड़” दो लंबी दूरी की मालगाड़ियां हैं। यह लंबी दूरी की मालगाड़ियां सामान्य संरचना से दोगुनी या कई गुना लंबी हैं। इस तरह की ट्रेनों के कई फायदे हैं, जिनमें एक ही बार में बहुत ज्यादा माल की ढुलाई शामिल हैं।
त्रिशूल की लंबाई का अंदाजा इसमें लगी बोगियों की संख्या से ही लगाया जा सकता है। दक्षिण मध्य रेलवे की यह ट्रेन तीन मालगाड़ियों के बराबर है और इसमें 177 वैगन शामिल हैं। इसी तरह की एक और ट्रेन है गरुड़। इन दोनों ही ट्रेनों में थर्मल पावर स्टेशंस तक कोयला पहुंचाने के लिए खुले वैगन शामिल हैं।
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रेलवे ने मालगाड़ियों के संचालन में तेजी लाने के लिए की गई पहल में खाली वैगनों को कम से कम समय में उनके लोडिंग पॉइंट तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा है। दक्षिण मध्य रेलवे ज़ोन द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, तीन ट्रेनों को एक साथ जोड़ने का संकेत देने के लिए “त्रिशूल” नाम की लंबी दौड़ वाली ट्रेन विजयवाड़ा में बनाई गई थी और दक्षिण की सीमा से लगे अंतिम स्टेशन दुव्वाडा तक एकल ट्रेन के रूप में संचालित की गई थी।
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दक्षिण मध्य रेलवे के अनुसार त्रिशूल का संचालन करीब 50 किमी प्रति घंटे की औसत गति से किया गया। इस तरह से ट्रेनों को चलाने का एक और बड़ा फायदा यह है कि ट्रेन का रास्ते में रुकना कम हो जाता है।
इसकी मदद से ट्रेन की परिचालन क्षमता बढ़ती है। जिससे न केवल ट्रेन की औसत गति में सुधार होता है, बल्कि सेक्शन्स के बीच चलने का समय भी कम होता है। दक्षिण मध्य रेलवे के अनुसार, इस तरह की पहल से भारतीय रेलवे को ग्राहकों की मांगों को तेजी से पूरा करने में मदद मिलेगी।