केंद्र सरकार भारत में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए अपनी कमर कस रही है। मेक इन इंडिया थीम पर अब सरकार मेट्रो दौड़ाने के लिए प्रयास कर रही है, यानि देश में अब ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी मेट्रो ही दौड़ेंगी। इसी तरह से सिग्नलिंग सिस्टम में भी स्वदेशी उपकरण खरीदना अनिवार्य किया जा रहा है।
गौरतलब है कि सरकार इस मामले में दो ऐंगल से काम कर रही है। सरकार चाहती है कि देशभर में सभी मेट्रो के लिए स्टैंडर्ड एक जैसा हो, यानी कोच से लेकर सिग्नलिंग सिस्टम तक एक जैसा पैमाना हो। एक समान स्टैंडर्ड होने से भारत में इस तरह के उपकरण बनाने वाली कंपनियां ही देश के सभी शहरों में बनने वाली मेट्रो के लिए कोच और सिग्नल उपकरण सप्लाई कर सकें। जिसका फायदा यह होगा कि एक जैसा स्टैंडर्ड होने से उपकरण और ट्रेन कोच बनाने की लागत कम होगी।
मेट्रो कोच सप्लाई करने वाली कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि 75 फीसदी कोच मेक इन इंडिया की ही थीम पर हों। कोच सप्लायर इसके लिए भारत में विनिर्माण कंपनियां लाएगा और साथ ही 100 कोच से ज्यादा के टेंडर पर किसी भारतीय उद्दमी कंपनी से भी समझौता किया जा सकता है। इसके अलावा मेट्रो कंपनियों को निर्देश दिया गया है कि वे स्थानीय स्तर पर क्षमता का निर्माण करें ताकि इससे देश के भीतर विशेषज्ञता का विकास होने के साथ ही तकनीक पर भी काम हो सके। भारतीय विशेषज्ञता विकसित करने के लिए कंपनियां स्थानीय स्तर पर रखरखाव गतिविधियों पर काम कर सकती हैं।
बता दें कि बहरहाल देश में कुल 1,912 मेट्रो कोच हैं, जिसके अगले तीन सालों में कुल 1600 मेट्रो डिब्बों की जरुरत होगी और हर कोच की संभावित लागत 10 करोड़ रुपए है।