भारत ने भूटान की 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए 4,500 करोड़ रुपये का योगदान देने की आज घोषणा की और उसके विकास, सफलता एवं खुशहाली के लिए हमेशा सहयोग का संकल्प दोहराया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भूटान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग के बीच यहां हैदराबाद हाउस में हुई प्रतिनिधिमंडल स्तर की द्विपक्षीय बैठक में ये निर्णय लिये गये। लोटे भारत-भूटान के राजनयिक संबंधों की स्वर्ण जयंती वर्ष में इस यात्रा पर गुरुवार को यहां पहुंचे थे। बैठक के बाद मोदी ने अपने वक्तव्य में भूटान में हाल ही में संपन्न चुनावों में जीत के लिए लोटे को बधाई दी और विश्वास व्यक्त किया कि उनके नेतृत्व में भूटान सफ़लता और ख़ुशहाली की राह पर प्रगति करता रहेगा।
प्रधानमंत्री ने बताया कि भूटान के प्रधानमंत्री ने उन्हें “नैरोइंग दि गैप” विज़न के बारे में विस्तार से जानकारी दी जो भारत के “सबका साथ, सबका विकास” से मेल रखता है। डॉ. लोटे ने एक खुशखबरी भी दी है कि भूटान सरकार ने शीघ्र ही रूपे कार्ड को लॉन्च करने का निर्णय लिया है। इससे दोनों देशों के लोगों के बीच संबंधों को और अधिक बल मिलेगा। मोदी ने कहा, “मैंने प्रधानमंत्री लोटे को आश्वस्त किया है कि भूटान के विकास में भारत हमेशा की तरह एक भरोसेमंद मित्र और साझेदार की भूमिका निभाएगा।” उन्होंने कहा कि भूटान की 12वीं पंचवर्षीय योजना में भारत 4,500 करोड़ रुपये का योगदान देगा। यह योगदान भूटान की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुरूप होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और भूटान के सहयोग के लंबे इतिहास में पनबिजली परियोजनायें अहम हिस्सा रही हैं। आज हमने इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में सभी संबंधित परियोजना में अपने सहयोग की समीक्षा की। यह प्रसन्नता का विषय है कि मान्ग-देछू परियोजना पर काम शीघ्र ही पूरा होने वाला है। इस परियोजना के टैरिफ पर भी सहमति हो गई है। अन्य परियोजनाओं पर भी कार्य संतोषजनक प्रगति कर रहा है तथा दोनों देश सभी परियोजनाओं को और अधिक गति देना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि भूटान के साथ सहयोग में एक नया आयाम अंतरिक्ष विज्ञान का है। दक्षिण एशिया कृत्रिम उपग्रह से लाभ उठाने के लिए इसरो द्वारा भूटान में बनाया जा रहा ग्राउंड स्टेशन भी शीघ्र तैयार होने वाला है। इसके पूरा होने से भूटान के दूर-दराज के क्षेत्रों में भी मौसम की जानकारी, टेली मेडिसिन और आपदा राहत जैसे कार्यों में मदद मिलेगी। मोदी ने कहा कि डॉ. लोटे ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना जबकि चार वर्ष पहले प्रधानमंत्री के रूप में उनकी पहली विदेश यात्रा भूटान की थी। यह एक-दूसरे के साथ सहयोग मजबूत करने के लिए, विकास की राह पर क़दम से क़दम मिलाकर आगे बढ़ने के लिए, हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि आपकी यह भारत यात्रा हमारे संबंधों को एक नयी गति देने में सफ़ल होगी।”
-सभार, ईएनसी टाईम्स