संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ने में भारत ने कहा है कि उन्हें सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए और वे अंतिम फैसला होने तक वीटो का इस्तेमाल नहीं करेंगे। उन्होंने कहा है। जी-4 देशों में भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान शामिल हैं। यूएनएससी की स्थायी सदस्यता के लिए भारत सहित जी 4 के सदस्य देश वीटो अधिकार को छोड़ने के लिए तैयार हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने बुधवार को बयान जारी किया। उन्होंने यह बयान अंतर सरकारी समझौता वार्ता बैठक में रखा। इसमें कहा गया कि यूएन के सदस्य भारी बहुमत से चाहते हैं कि सुरक्षा परिषद में सुधार हो और उसके स्थायी और अस्थायी सदस्यों की संख्या बढ़े। पांच स्थायी सदस्यों वाली दुनिया की इस सर्वाधिक शक्तिशाली संस्था के विस्तार में वीटो पावर बड़ी बाधा बनी हुई थी। सदस्य देश -अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन वीटो पावर का अधिकार बढ़ाए जाने का पक्षधर नहीं है।
वीटो वह पावर है जिसका इस्तेमाल करके कोई भी स्थायी सदस्य देश सुरक्षा परिषद में रखे गए किसी भी प्रस्ताव का क्रियान्वयन रोक सकता है। सुरक्षा परिषद के विस्तार की चर्चा कई दशकों से चल रही है। भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान इस संस्था के स्थायी सदस्य बनने के दावेदार हैं। ये देश सुरक्षा परिषद में सुधार और विस्तार की पैरोकारी कर रहे हैं। साथ ही, एक-दूसरे की दावेदारी का भी समर्थन कर रहे हैं। जी4 देशों ने एक साथ अपनी आवाज बुलंद की है। माना जा रहा है कि इससे स्थायी देशों पर असर पड़ेगा और उन्हें अपने रुख नरम करना होगा।
खास बात यह भी है कि जी4 देशों को अपने ही पड़ोसियों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। मसलन- पाकिस्तान हमेशा से भारत के खिलाफ रहा है, वहीं चीन, जापान का विरोध करता है, जर्मनी को इटली का विरोध करना झेलना पड़ा है।