नोटबंदी को जहां चीन समेत अमर्त्य सेन जैसे बड़े अर्थशास्त्री तक ने एनडीए सरकार का गलत फैसला बताया था वहीं विश्व बैंक ने अपने रिपोर्ट में इसे सही और मजबूत कदम बताया है। विश्व बैंक का कहना है कि भारत नोटबंदी के अस्थायी प्रतिकूल प्रभाव से उबर रहा है और इसे देखते हुए 2017 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) की ग्रोथ रेट 7.2 फीसदी तक हो सकती है। जबकि 2016 में यह ग्रोथ रेट 6.8 थी।
हालांकि विश्व बैंक ने अपने जनवरी के अनुमान की तुलना में भारत की ग्रोथ रेट के आंकड़ों को 0.4 फीसदी संशोधित किया है और भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था माना है। विश्व बैंक के अधिकारियों के अनुसार, चीन ने अपना ग्रोथ रेट 2017 के अनुमान अनुसार 6.5 फीसदी पर कायम रखा है। अतः विश्व बैंक ने 2018 और 2019 में चीन का ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया गया है।
आपको बता दें कि विश्व बैंक ने अपनी ताजा वैश्विक आर्थिक संभावनाओं में 2018 में भारत का ग्रोथ रेट 7.5 फीसदी और 2019 में 7.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। जनवरी, 2017 के अनुमान की तुलना में 2018 में भारत की ग्रोथ रेट में 0.3 फीसदी तथा 2019 में 0.1 फीसदी की कमी की आएगी। विश्व बैंक ने कहा है कि भारत की वृद्धि दर के अनुमान में कमी मुख्य रुप से निजी निवेश में उम्मीद से कुछ नरम सुधार है।
वैसे अगर इस समय देश की अर्थव्यवस्था को देखें तो मई महीने के दौरान सेवा क्षेत्र की गतिविधियों की वृद्धि दर सबसे अधिक रही है। एक मासिक सर्वे के अनुसार, कंपनियों को अधिक ऑर्डरों की वजह से उन्हें अधिक लोगों को नौकरी पर रखना पड़ा है। इसी के साथ मासिक आधार पर सेवा क्षेत्र के उत्पादन की निगरानी करने वाला निक्की इंडिया का सेवाओं का खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) मई में बढ़कर 52.2 पर पहुंच गया। इसी तरह सेवा क्षेत्र की वृद्धि में बढ़ोतरी इस बात का संकेत है कि जून भी यदि यही रफ्तार कायम रहती है, तो सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर बढ़ सकती है और भारत सच में नोटबंदी के प्रभाव से उबर सकता है।