GST Council की बैठक आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) की अध्यक्षता में होगी, जिसमें Petrol- Diesel को GST व्यवस्था के तहत लाने के प्रस्ताव समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। वित्तमंत्री Lucknow में 45वीं जीएसटी परिषद (45th GST Council) की बैठक की अध्यक्षता करेंगी। बैठक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों और केंद्र सरकार और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। वित्त मंत्रालय ने ट्वीट करके जानकाकी दी है।
बैठक के दौरान माल और सेवा कर, 31 दिसंबर तक 11 कोविड दवाओं पर कर रियायतें बढ़ाने और राज्यों को जीएसटी की कमी को पूरा करने के लिए मुआवजे पर विचार कर सकती है। 12 जून को हुई पिछली जीएसटी परिषद की बैठक में विभिन्न कोविड -19 दवाओं और आवश्यक वस्तुओं पर कर की दरों को 30 सितंबर तक कम कर दिया गया था। जीएसटी परिषद में ज़ोमैटो और स्विगी जैसे खाद्य वितरण ऐप को रेस्तरां के रूप में मानने की संभावना है।
माना जा रहा है कि जीएसटी परिषद केरल उच्च न्यायालय के निर्देशों के मद्देनजर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने के मुद्दे पर चर्चा करने जा रही है। कुछ राज्य जून 2022 के बाद जीएसटी की कमी को पूरा करने के लिए मुआवजे पर चर्चा चाहते हैं। स्वास्थ्य संबंधी वस्तुओं सहित कुछ अन्य वस्तुओं पर जीएसटी छूट पर भी बैठक में चर्चा हो सकती है।
राज्यों का क्या कहना है?
केरल के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने बैठक की पूर्व संध्या पर कहा कि राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने के कदम का विरोध करेगी, यह कहते हुए कि यह राज्य के लिए राजस्व सृजन को और कम करेगा, केंद्र को अपना शुल्क कम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम जीएसटी मुआवजे को और पांच साल के लिए बढ़ाने के लिए कहेंगे।
वहीं महाराष्ट्र सरकार राज्य के अधिकारों को खत्म करने के किसी भी कदम के खिलाफ है और शुक्रवार को जीएसटी परिषद की बैठक में अपना विचार रखेगी। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने एक सवाल के जवाब में कहा कि केंद्र कर लगाने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन जो राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है उसे छुआ नहीं जाना चाहिए। राज्य सरकार जीएसटी परिषद की बैठक में अपना विचार रखेगी।
पवार ने यह भी कहा कि केंद्र को संसद में किए गए सभी आश्वासनों का पालन करना चाहिए जब ‘एक राष्ट्र एक कर’ का जीएसटी कानून लागू किया गया था।
विशेषज्ञों का क्या कहना है ?
मौजूदा स्थिति को देखते हुए पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाना केंद्र और राज्यों दोनों के लिए बहुत कठिन होगा, क्योंकि दोनों को नुकसान होगा। पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से उद्योग को मदद मिलेगी, क्योंकि इससे लागत कम होगी। अभी उपभोक्ता मूल्य वर्धित कर (वैट) और उत्पाद शुल्क दोनों को वहन कर रहे हैं, लेकिन जीएसटी के तहत लाने के बाद कीमतों में कमी आएगी।
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