इमली का नाम सुनकर मुंह में पानी आ जाता है या दांत खट्टे होने की फीलिंग आ जाती है। लेकिन आईआईटी रूड़की के दो प्राध्यापकों ने दावा किया है कि उन्होंने इमली के बीजों में एक प्रोटीन का पता लगाया है जिनमें विषाणु रोधी गुण हैं और चिकनगुनिया के उपचार के लिए दवाई बनाने में उसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

आईआईटी रूड़की के शोधकर्ताओं के इस दल ने इमली के विषाणुरोधी प्रोटीन वाले एंटीवायरल कम्पोजीशन के पेटेंट के लिए आवेदन किया है और अब वे इससे चिकनगुनिया के उपचार के लिए औषधि तैयार कर रहे हैं।

एक प्राध्यापक ने बताया, भारत में इमली को अनेक औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है और यह बहुत अच्छा आयुर्वेदिक खाद्य पदार्थ है। इसके फल, बीज, पत्तियों, जड़ों का इस्तेमाल उदर शूल, डायरिया, पेचिश के अलावा अनेक प्रकार की बीमारियों के उपचार में इस्तेमाल किया जाता है।

शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि इमली के बीज से निकाला गया लैक्टिन ग्लाइकेन्स अथवा ऐसे शुगर मॉलीक्यूल्स के साथ मिल जाता है जिसमें एन एसिटिलग्लूकोसामीन होता है। इससे मूल कोशिकाओं में जीवाणु घुस नहीं पाता। शोधकर्ताओं का कहना है कि चिकनगुनिया के उपचार में यह काफी कारगर साबित हो सकता है।

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