सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन के उस आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है जिसमें उसने स्टेट हाईवे को डिनोटिफाई करने का आदेश जारी किया हैं। चंडीगढ़ प्रशासन ने इन सड़कों पर शराब बेचे जाने के लिए ये अधिसूचना जारी की है, जिसके खिलाफ एक एनजीओ ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी। दरअसल हाईवे के 500 मीटर इलाके में शराब पर रोक के मामले पर सुनवाई करते हुए ने उच्चतम न्यायालय ने कहा,’अगर कोई हाईवे सिटी के बीच से होकर गुजरता है और उसे डिनोटिफाई किया जाता है तो इसमें कुछ गलत नहीं है।’ इस संबंध में कोर्ट ने कहा कि शहर के अंदर के हाईवे और शहर के बाहर के हाईवे में बहुत अंतर है। हाईवे का मतलब है ऐसे मार्गों से जहां तेज रफ्तार में गाड़ियां चलती हों। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि हाईवे के 500 मीटर दायरे में शराब की बिक्री पर रोक के पीछे सोच ये है कि लोग शराब पीकर तेज रफ्तार में गाड़ी ना चलाए लेकिन शहर में इस तरह की रफ्तार देखने को नहीं मिलती।
CJI ने याचिकाकर्ता को कहा कि वह सवालों के जवाब दें और फिर 11 जुलाई को सुनवाई कर आदेश जारी करेंगे। दरअसल चंडीगढ़ में हाईवे को डिनोटिफाई करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इस मामले में याचिकाकर्ता का कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे से 500 मीटर तक शराब की दुकानों पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी करने के लिए ये कदम उठाया गया है। सुप्रीम कोर्ट अब ये तय करेगा कि क्या इस तरह हाईवे को डिनोटिफाई किया जा सकता हैं?
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाईवे को डिनोटिफाई सिर्फ इसलिए किया जा रहा है ताकि शराब की दुकाने बंद ना हों और राज्यों को पैसा मिल सके। बड़ी सड़कों को जिला सड़क का नाम दिया जा रहा है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के हाईवे पर शराबबंदी के फैसले के बाद कई राज्यों में हाईवे को डिनोटिफाई करने की कार्रवाई की जा रही है। राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे से 500 मीटर तक शराब की दुकानों पर रोक के मामले में 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि हाईवे पर शराब की दुकानों पर रोक जारी रहेगी। हालांकि हाईवे के किनारे किसी कस्बे में 20 हजार से कम जनसंख्या वाले इलाकों में 220 मीटर तक दुकानें नहीं होंगी। हाईवे किनारे बार और रेस्तरां में भी शराब नहीं बिकेगी। जिन राज्यों में शराब के लाइसेंस 15 दिसंबर से पहले दिए गए, वहां लाइसेंस 30 सितंबर तक चल जाएंगे।
क्या हैं पूरा मामला ?
दरअसल चंडीगढ़ में कई जगह हाईवे का नाम बदलकर ‘मेजर डिस्ट्रिक रोड’ का नाम कर दिया गया है। इसी को लेकर एराइव सेफ इंडिया NGO ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईवे पर शराब की दुकानों को बंद करने का फैसला जनहित में लिया था क्योंकि इससे सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। हालांकि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट इस याचिका को खारिज कर चुका है।