पिछले कुछ समय से विवादों में रहा रामजस कॉलेज आजकल फिर सुर्ख़ियों में है। कॉलेज के गलियारों से यह खबर आ रही थी कि कॉलेज में गुरुकुल शिक्षा पद्धति लागू हो सकती है, जिसके तहत छात्रों को हर सुबह योग की कक्षा में जाना होगा। इसके अलावा कॉलेज में हर सुबह राष्ट्रीय गीत का गायन होगा। कैंपस में हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए ऐसे नियम बनाए जाने की खबर आ रही थी, जिसका बुद्धिजीवी वर्ग, विद्यार्थियों और सोशल मीडिया में खासा विरोध हो रहा था। इस नियम से वर्तमान भाजपा सरकार पर भी शिक्षण संस्थाओं के भगवाकरण के आरोपों की भी पुष्टि होने लगी थी।
पर अब यह खबर महज हवा हवाई साबित हो रही है। कॉलेज के प्रवक्ता ने ऐसे किसी भी नए योजना से इंकार किया है। उन्होंने बताया, ‘‘गुरुकुल तरीके से शिक्षा व्यवस्था रामजस कॉलेज में नहीं अपनायी जा रही है। कॉलेज की ओर से इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं रखा गया है। इस तरह का कोई एजेंडा यहां नहीं है। जारी किए गए गलत बयानों को व्यक्तिगत राय के रूप में ही देखा जाना चाहिए।’’
प्रवक्ता के रुप में मीडिया के सामने आये कॉलेज के स्टाफ काउंसिल सेक्रटरी शिशिर कुमार झा ने बताया कि प्रिंसिपल और उनके समेत सिर्फ तीन लोग ही कॉलेज प्रबंधन की तरफ से आधिकारिक बयान जारी करने के लिए प्राधिकृत हैं। बाकी लोगों के बयानों को अफवाह या उनका निजी बयान ही माना जाये।
गौरतलब है कि इस साल फरवरी में भी रामजस कॉलेज सुर्ख़ियों में आया था जब ‘विरोध की संस्कृति’ पर आयोजित होने वाले एक सेमिनार को संबोधित करने के लिए जेएनयू के छात्र उमर खालिद को आमंत्रित किया गया था और इसे लेकर ऑल इंडिया स्टूडेंट्स असोसिएशन (आइसा) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों के बीच झड़प भी हो गई थी। बाद में यह मुद्दा राष्ट्रीय राजनीतिक विमर्श का हिस्सा भी बन गया था और इस विवाद की गूंज संसद में भी गूंजी थी।