जम्मू-कश्मीर में सेना और पत्थरबाजों के बीच झड़प में हाल के दिनों में काफी इज़ाफा देखने को मिला है पिछले कुछ दिनों से यह झड़प कुछ ज्यादा हिंसक होती हुई दिखाई दे रही है। कश्मीर में गुस्साई भीड़ द्वारा सेना पर पत्थर फेंकने के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। ऐसे में भीड़ को काबू में करना सेना और सुरक्षा बलों के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।

Government will bring new weapon in place of Pellet gun for Jammu and Kashmir - 1ऐसे में इन गतिविधियों से सेना को अपने बचाव के लिए पेलेट गन का इस्तेमाल करना पड़ता है लेकिन इसके इस्तेमाल को लेकर भी कई तरह के सवाल उठाए गए हैं। जुलाई 2016 में हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ के दौरान मौत हो गई थी जिसके बाद पूरी घाटी में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया था। जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन ने सेना द्वारा पेलेट गन का इस्तेमाल करने पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। पेलेट गन के इस्तेमाल का बचाव करते हुए भारत के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में यह जानकारी दी कि सेना पेलेट गन की जगह एक नया हथियार का निर्माण कर रही है। जिससे भीड़ पर काबू पाया जा सकेगा। रोहतगी ने अदालत में बताया कि भीड़ पर नियंत्रण करना एक बहुत बड़ी चुनौती है। सेना और सुरक्षा बल पानी की बौछारों, लेजर रोशनी और बेहद तेज शोर करने वाले उपकरणों का भी इस्तेमाल करती है पर भीड़ इतनी ज्यादा बेकाबू होती है कि यह सारी चीजें बेअसर पड़ जाती है। रोहतगी ने इन सभी असफलताओं के लिए अदालत को बताया कि केंद्र सरकार पेलेट गन की जगह रबर की गोलियों का इस्तेमाल करने पर विचार कर रही हैं क्योंकि यह पेलेट गन जितनी खतरनाक नहीं होती पर इसका प्रयोग भी आखिरी विकल्प पर किया जाएगा।

पेलेट गन एक नॉन लीथल हथियार है यानि इससे किसी की जान नहीं जाती लेकिन फिर भी इसका प्रयोग करने से कई तरह के नकारात्मक परिणाम सामने आते हैं। पिछले साल कश्मीर में इसके इस्तेमाल के बाद यह आरोप लगा था कि पेलेट गन से काफी लोग घायल हुए और कई लोगों को अपनी आंखें भी गवानी पड़ी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था कि क्या पेलेट गन के अलावा भीड़ पर काबू पाने का कोई अन्य उपाय अपनाया जा सकता है। इसके बाद  गृह मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट पेश की थी।

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