बुधवार को कृषि कानूनों के विरोध के मुद्दे पर किसानों की केंद्र सरकार के साथ छठे दौर की वार्ता हुई। यह बैठक दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई। बैठक काफी देर तक चली, जिसमें दोनों पक्षों ने अपनी बात रखी। उम्मीद की जा रही थी आज कुछ हल निकल आएगा और नए साल की शुरुआत के पहले किसान अपनी हड़ताल समाप्त कर देंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
दोनों पक्षों की बैठक खत्म होने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया बातचीत अच्छे वातावरण में हुई है। सरकार और किसान नेताओं के बीच चार में से दो मुद्दों पर सहमति बन गई, जबकि अन्य दो मुद्दों के लिए चार जनवरी को फिर से बैठक होगी।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश विज्ञान भवन में 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा कर रहे थे। दो घंटे तक चर्चा के बाद केंद्रीय मंत्री प्रदर्शनकारी किसानों के लंगर में भी शामिल हुए। आंदोलन कर रहे किसान अपनी मांगों पर डटे हुए हैं कि सरकार तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करे। इसके साथ ही एमएसपी पर कानून भी बनाए। वहीं, पराली और बिजली को लेकर भी किसानों ने मांग रखी है।
दोपहर ढाई बजे शुरू हुई किसान संगठन के नेताओं और सरकार के बीच बैठक के खत्म होने के बाद नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ”आज की बैठक पहले की तरह बहुत अच्छे वातावरण में हुई। आज की बैठक में किसान संगठनों के नेताओं ने जो चार विषय चर्चा के लिए रखे थे, उसमें दो मुद्दों पर रजामंदी हो गई है। पहला- पराली को लेकर और दूसरा- बिजली कानून।” उन्होंने आगे कहा कि कृषि कानूनों और एमएसपी पर कानून को लेकर चर्चा खत्म नहीं हुई है। इसके लिए फिर से चार जनवरी को बैठक होगी। तोमर ने कहा, ”सर्दी का मौसम है, इसलिए किसानों को बुजुर्गों और बच्चों को घर जाने के लिए कहना चाहिए। यह भी किसान संगठनों से मैंने कहा है।”
नए कृषि कानूनों पर गतिरोध सुलझाने के लिए बुधवार को छठे दौर की वार्ता के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा भोजन के लिए लंगर के आयोजन में तीन केंद्रीय मंत्री भी शामिल हुए। विज्ञान भवन में वार्ता आरंभ होने के करीब दो घंटे बाद बैठक स्थल के पास एक वैन से किसानों के लिए लंगर पहुंचाया गया। वार्ता के दौरान कुछ देर का भोजनावकाश रखा गया। इस दौरान किसान नेताओं के साथ मंत्रियों ने भी लंगर खाया। बैठक स्थल पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्य और रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश को भी ब्रेक के दौरान किसान नेताओं के साथ लंगर खाते देखा गया।

हम आपको बता दें कि हजारों की संख्या में पंजाब-हरियाणा समेत विभिन्न राज्यों के किसान पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलन कर रहे किसान अपनी मांगों पर डटे हुए हैं कि सरकार तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करे। इसके साथ ही एमएसपी पर कानून भी बनाए। वहीं, पराली और बिजली को लेकर भी किसानों ने मांग रखी है। इस आंदोलन में कुछ विघटनकारी तत्वों के भी मौजूद रहने की सूचना आई थी, जिसके बारें में सरकार ने आंदोलनकारियों का आगाह किया था। सरकार के विरोध में पंजाब में कई सार्वजनिक महत्व की चीजों को नुकसान पहुंचाया गया है। बहरहाल अब सबको नए साल तक इंतजार करना होगा, जब बातचीत की मेज पर एक बार फिर सरकार और किसानों के बीच बातचीत होगी।