गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर दार्जिलिंग में शुरू हुए आंदोलन के छठे दिन भी पहाड़ लहूलुहान रहा। फायरिंग, आगजनी, आंसू गैस, लाठीचार्ज सब कुछ हुआ, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 35 पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हो गए। कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़प हो रही है तो कुछ इलाकों में सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। यहां हुई हिंसा में 30 लोग घायल भी हुए हैं, साथ ही हिंसा के बाद प्रशासन ने सख़्त फ़ैसला लिया है और 25 जून तक किसी सार्वजनिक जगह पर तीन से ज़्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा दी गई है।
आपको बता दें कि पहले से बनी योजना के मुताबिक आज गोरखा जन मुक्ति मोर्चा के समर्थक दार्जीलिंग की सड़कों पर काली पट्टी बांध कर चौक बाज़ार में इकट्ठा हो काला दिवस मनाएंगे। यहां तक कि गोरखालैंड के समर्थन में दार्जिलिंग अनिश्चित काल के लिए बंद हो गया है।
शुक्रवार आधी रात के बाद दार्जिलिंग के विधायक अमर राई के पुत्र विक्रम राई को गिरफ्तार कर लिया गया था। वह जीटीए ( गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन ) के मीडिया प्रभारी हैं। वहीं कलिंपोंग के कुमाउ पंचायत भवन में आग लगा दी गई। रात को ही तृणमूल कांग्रेस नेता देवराज गुरुंग के लेबांग स्थित घर में तोडफ़ोड़ और पेट्रोल बम फेंका गया। आरोप है कि सुबह में गोजमुमो के सचिव विनय तमांग के घर पर छापेमारी के नाम पर पुलिस ने तांडव मचाया। इस बीच यह बात तेजी से फैलने लगी कि आंदोलनकारियों को पुलिस बेरहमी से पीट रही है। इस बात की खबर जब मोर्चा समर्थकों को हुई तो वे आक्रोशित हो उठे। सुबह जब सिलीगुड़ी से पर्यटकों को लाने के लिए सरकारी बसों को भेजा जा रहा था, तभी कर्सियांग के निकट पंखाबारी के पास सड़क जाम कर दिया गया। वहां पेड़ गिराकर सड़क अवरोध किया गया है।
वहीं कल हुई हिंसा में एक पुलिसकर्मी बुरी तरह घायल हो गया था। दार्जीलिंग के बिगड़े हालात पर सूबे की मुखिया ममता बनर्जी का कहना है कि “यह एक गहरी साज़िश है। एक दिन में इतने हथियार इकट्ठा नहीं हो सकते। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। देश ही नहीं बल्कि विदेशों के आए पर्यटक दार्जीलिंग के अलग-अलग इलाकों में फंसे हैं और इससे हमारे देश की बदनामी हो रही है।”
उन्होंने कहा, ‘मैं अपने प्राण का बलिदान करने के लिए तैयार हूं, लेकिन बंगाल को विभाजित नहीं होने दूंगी। ममता ने कहा, ‘इस गुंडागर्दी के पीछे कोई आतंकी दिमाग है। हमें सुराग मिले हैं कि उनके पूर्वोत्तर के भूमिगत विद्रोही समूहों के साथ संबंध हैं। वहीं जीजेएम के नेता बिनय तमांग का कहना है कि , ‘हम पश्चिम बंगाल सरकार के साथ वार्ता करने को तैयार नहीं है। ममता बनर्जी ने हमारा अपमान किया है, उन्होंने हमें आतंकवादी कहा है। ‘ तमांग ने कहा, ‘हम अपने अधिकारों और आजादी को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। हम केवल केंद्र सरकार के साथ वार्ता करेंगे और ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस सरकार के साथ वार्ता करने में हमारी कोई दिलचस्पी नहीं है। ‘