नेशनल कान्फ्रेंस के नेता डॉ फारुक अब्दुला ने कल एक पार्टी कार्यक्रम के दौरान आतंकियों को आजादी के लिए जान कुर्बान करने वाले हीरो से संबोधित कर, पार्टी कार्यकर्ताओं को आतंकियों की कुर्बानी को याद रखने के लिए कहकर विवादो में आ गए है। जिसके चलते जम्मू कश्मीर सहित अन्य राजनीति पार्टियों में गरमा गर्मी का माहौल बन गया है।
गौरतलब हो कि कश्मीर के बांदीपुरा में हुए आंतकि और सेना की जवानों के बीच मुठभेड के बाद एक फिर वहा हिंसा भडक गई है। स्थानीय नागरिकों ने सुरक्षा बलों के गाड़ियों पर पथराव शुरु कर दिया था। जिसे लेकर सेनाध्यक्ष विपिन रावत ने अपने ओर से कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। सेनाध्यक्ष के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ फारुक ने कहा कि कश्मीर में आतंकी बन रहे युवा विधायक और सांसद बनने के लिए नहीं बल्कि वतन की आजादी के लिए अपनी जान को कुर्बान कर रहे है। गोली के बदले गोली की नीति से राज्य में बस स्थिति खराब होगी। अगर केन्द्र सरकार कश्मीर में स्थिती सुधारना चाहती है तो उसका बस एक रास्ता है कि गोली के बदले गोली का जवाब धैर्य, प्रेम, शांति और संवाद द्वारा वार्ता शुरुकर किया जा सकता है।
कांग्रेस प्रवक्ता रविन्द्र शर्मा ने कहा है कि डॉ अब्दुल्ला को बयान देते समय कम से कम राष्ट्र हित को ध्यान तो रखना चाहिए, अगर उन्होने ऐसा कोई बयान दिया है तो यह बेहद निंदनीय बात है। भाजपा प्रवक्ता सुनील सेठी ने कहा कि फारुक के इस बयान के साथ नैकां का असली चेहरा सामने आया है
डॉ अब्दुल्ला के आए इस विवादित बयान के बाद राजनीति गलियारों में जमकर आलोचना हो रही है। साथ ही लोग सोशल मीडिया के माध्यम से भी नेशनल कान्फ्रेंस पर जमकर तंज कस रहे है।