देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक यशपाल का मंगलवार सुबह 3 बजे निधन हो गया। नोएडा के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। प्रोफेसर यशपाल 90 साल के थे। 1976 में प्रोफेसर यशपाल को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया और 2013 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा उनको पद्म विभूषण से नवाजा गया। प्रोफेसर यशपाल का विज्ञान के क्षेत्र में अहम योगदान रहा। उनको कॉस्मिक किरणों पर अपने गहरे अध्ययन के लिए भी जाना जाता है। साथ ही देश के महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए उन्होंने अपना जीवन विज्ञान को समर्पित कर दिया।
देश के शीर्ष वैज्ञानिकों में शुमार प्रोफेसर यशपाल का जन्म 26 नवंबर 1926 को अविभाजित भारत के झांग जिले (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। प्रोफेसर यशपाल ने पंजाब विश्वविद्यालय से 1949 में भौतिकी में स्नातक की डिग्री ली। उन्होंने 1958 में मैसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी से हाईएनर्जी फिजिक्स, एस्ट्रोफिजिक्स और स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे विषयों में पीएचडी की। इसके बाद वह भारत के कई महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहकर देश के विकास में अपना योगदान दिया। उन्होंने अपने कैरियर की शुरूआत टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से की। फिर वह 1973 से 1981 तक करीब नौ साल अहमदाबाद के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक रहे। फिर वह 1983 से 1984 तक योजना आयोग के मुख्य सलाहकार रहे। फिर 1986 से 1991 तक प्रोफेसर यशपाल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में चैयरमैन के पद पर आसीन रहे। 2007 से 2012 तक यशपाल ने दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर के पद पर रहकर कार्यभार संभाला।
प्रोफेसर यशपाल दूरदर्शन पर अत्यंत चर्चित विज्ञान कार्यक्रम ‘टर्निंग प्वाइंट’ में भागीदारी और विज्ञान को साधारण शब्दों में आम जनता तक पहुंचाने के प्रयासों के कारण खूब लोकप्रिय हुए। साल 2009 में विज्ञान को बढ़ावा देने और उसे लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाने की वजह से उन्हें UNESCO ने कलिंग सम्मान से नवाजा था