विदेशी निवेश की मंजूरी देने में धांधली के आरोपों में सीबीआइ ने कार्ति चिदंबरम और उनकी कंपनी में जमा किए 1.16 करोड़ रुपये को जब्त कर लिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने एयरसेल मैक्सिस केस में कार्रवाई करते हुए कार्ति चिदंबरम की संपत्ति कुर्क की है। वहीं पी. चिदंबरम ने ईडी के आरोपों को मनगढ़ंत और बेबुनियाद बताया है।

बता दें कि आइएनएक्स मीडिया और एअरसेल-मैक्सिस सौदे में धनशोधन की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम और उनसे जुड़ी एक कंपनी की 1.16 करोड़ रुपए की परिसंपत्तियां जब्त कर ली। जांच एजंसी का कहना है कि एक शख्स के जरिए कार्ति खुद यह कंपनी चलाते थे। ईडी की माने तो परिसंपत्तियों में सावधि और बचत खाते में लगभग 90 लाख रुपए तक की राशि और उनसे जुड़ी कंपनी एडवांटेड स्ट्रैटेजिक कंसलटिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की 26 लाख रुपए की संपत्तियां शामिल हैं।

तो सोमवार को ईडी ने कार्ति के बैंक अकाउंट्स और 90 लाख की फिक्स्ड डिपोसिड को भी कुर्क किया है। ईडी का आरोप है कि गुरुग्राम में एक संपत्ति बेच डाली इसलिए धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत अस्थाई कुर्की आदेश जारी किया है।

अधिकारियों ने बताया, “जांच के दौरान, यह पाया गया कि वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने एयरसेल-मैक्सिस मामले में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) के अंतर्गत अपने अधिकारों से बाहर जाकर आदेश दिए हैं। अधिकारियों ने बताया कि एडवांटेज स्ट्रेटजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड(एएससीपीएल) के नाम से जमा सावधि जमा राशि को भी जब्त किया गया है।

अधिकारियों की माने तो एफआईपीबी की मंजूरी आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति देती है, लेकिन चिंदबरम ने अपने अधिकार का दुरुपयोग कर इसका आदेश खुद ही दे दिया। मामले को रफा-दफा करने के लिए एफआईपीबी की मंजूरी को गलत तरीके से दिखाया गया है।  अधिकारी ने बताया कि, “जांच के दौरान पता चला कि कार्ति और चिदंबरम के भतीजे ए. पलानीअप्पन ने सॉफ्टवेयर कंसल्टेंसी देने के एवज में मेक्सिस ग्रुप से कथित रूप से दो लाख डॉलर वसूल किए थे।”

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