यूपी चुनाव में हरेक पार्टी अपना घोषणापत्र तो जारी कर रही है लेकिन उस घोषणापत्र में कितनी सच्चाई है इसकी जानकारी किसी को नहीं होती। इसी संबंध में इलाहबाद हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता अधिवक्ता प्रभुति कान्त की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग को मामले में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट में दर्ज याजिका में आरोप लगाया गया है समाजवादी पार्टी अपने मेनीफेस्टो में गलत दावे दिखाकर जनता को गुमराह किया है। इन गलत जानकारियों के जरिए पार्टी लाभ उठाना चाहती है। याचिका में उदाहरण के तौर पर ताज एक्सप्रेस वे, यमुना एक्सप्रेस वे और लखनऊ मेट्रो का काम पूरा नहीं होने के बावजूद भी सपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इन योजनाओं के पूरा होने की घोषणा कर मतदाताओं को गुमराह किया गया है।
इलाहबाद कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करने के बाद चीफ जस्टिस डी बी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने चुनाव आयोग को आदेश दिया कि वह पार्टी की ऐसी गतिविधियों पर ध्यान दें और इस मामले पर उचित कार्यवाई करें।
समाजवादी पार्टी के इन झूठे वादों से फिलहाल पार्टी को कोई दिक्कत नहीं पहुंची है पर हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग को इस मामले पर जल्द निर्णय लेने का अधिकार दिया है अब देखना होगा कि चुनाव आयोग क्या फैसला लेता है और समाजवादी पार्टी के लिए आने वाले चुनावी दौर में क्या मुश्किलें खड़ी होती है।