देश भर में तीन तलाक पर जारी के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज एक अहम् बयान दिया है। प्रधानमंत्री ने विज्ञान भवन में बास्वा जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि तीन तलाक के मसले को हमें राजनीतिक नजर से नहीं देखना चाहिए। तीन तलाक के विरोध में और इसे ख़त्म करने के लिए मुस्लिम महिलाएं आगे आ रही हैं। मोदी ने यह भी कहा कि इसके खिलाफ मुस्लिम समुदाय को भी आगे आना चाहिए। प्रधानमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब सुप्रीम कोर्ट में यह मामला लंबित है और इसपर जल्द ही फैसला आने की संभावना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने चालीस मिनट के संबोधन में कहा कि मुस्लिम समाज की बेटियों के साथ जो गुजर रही है उससे राहत दिलाने के लिए इस समुदाय के प्रभावशाली लोग आगे आयेंगे ऐसी मैं उम्मीद करता हूँ। अपने इस कदम से वह दुनियाभर के मुस्लिमों को आगे बढ़ने का रास्ता और आधुनिकता का मार्ग दिखायेंगे। इस दौरान उन्होंने मुख्यतः महिला सशक्तिकरण, समानता और सुशासन के बारे में बातें कीं। इससे पहले पीएम ने कहा कि भारत की इतिहास सिर्फ हार, गुलामी, गरीबी के अलावा सांप और नेवले की लड़ाई का नहीं है। भारत ने सत्याग्रह, गुड गवर्नेंस का संदेश भी दुनिया को दिया है।
इस कार्यक्रम में तीन तलाक के अलावा पीएम ने कहा कि हर किसी का सम्मान हो, जाति प्रथा, छुआछूत जैसी बुराइयां न हों यही हमारी प्राथमिकता है। 800 साल पहल इन विचारों को भगवान विश्वेश्वर ने आधार बनाया था। उन्होंने हर मानव में भगवान को देखा था। उन्होंने कहा था कि ये शरीर एक मंदिर है। जिसमें आत्मा ही भगवान है। समाज में ऊंचनीच का भेदभाव खत्म हो, श्रम का सम्मान हो, हर व्यक्ति का सशक्तीकरण हो ये सिद्धांत किसी भी समाज और लोकतंत्र के लिए मजबूत नींव की तरह है। हमारी सरकार में मूलमंत्र सबका साथ-सबका विकास में भी वही प्रतिध्वनि है। बिना भेदभाव इस देश के हर व्यक्ति का अपना घर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर किसी को 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए। हर गांव में सड़क, किसान को बीमा, खाद, पानी मिले यही तो है सबका साथ सबका विकास। यह देश में बहुत आवश्यक है। सबको साथ लेकर, सबके प्रयास से ही सबका विकास किया जा सकता है।