सोमवार को दिल्ली पुलिस ने प्रेस वार्ता के जरिए टूलकिट को लेकर बड़ा खुलासा किया है। दिल्ली पुलिस के अनुसार टूलकिट की साजिश दिशा ने भारत से रचि थी। इस किट को ग्रेटा थनर्बग ने ट्वीट किया था लेकिन दिशा को डर था कि, उसके उपर यूएपीए के तहत कानूनी कार्यवाही हो सकती है जिसके बाद दिशा ने ग्रेटा को टूलकिट वाला ट्वीट डिलीट करने को कहा।
भारत में किसानों का आंदोलन पिछले 82 दिन से चल रहा है। इसे लेकर देश-विदेश में चर्चा हो रही है। कई हस्तियां किसान आंदोलन को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रही है। वहीं इस आंदोलन को आग देने के लिए स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने ट्विटर पर कुछ सुझाव साझां किया था। इसे टूलकिट का नाम दिया गया है।
खबर के अनुसार इस टूलकिट की मदद से ग्रेटा भारत का नाम बदनाम करना चहाती हैं। वे भारत में दंगा कराना चाहती हैं। टूलकिट को लेकर दिल्ली पुलिस जांच कर रही थी, जिसमें भारत में पर्यावरण के लिए काम करने वाली कार्यकर्ता दिशा रवि का नाम सामने आया था। दिशा रवि इस समय दिल्ली पुलिस की हिरासत में हैं।
दिशा फ्राइडे फॉर फ्यूचर नाम की एक संस्था चलाती हैं। इस संस्था से निकिता जैकब भी जुड़ी हैं। टूलकिट एडिट करने के मामले में निकिता का नाम भी सामने आया है। दिल्ल पुलिस ने निकिता को फरार घोषित कर दिया है। इन सभी पर यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इसी सिलसिले में दिल्ली पुलिस ने एक प्रेस वार्ता कि, पुलिस के अनुसार, स्वीडिश कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने दिशा के अनुरोध के बाद कथित रूप से ट्वीट को डिलीट कर दिया था। बाद में टूलकिट का एक संपादित संस्करण साझा किया। इस दौरान पुलिस ने यह भी दावा किया कि टूलकिट का संपादन 22 वर्षीय दिशा ने किया था।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि दिशा ने व्हाट्सएप पर थनबर्ग को लिखा, “ठीक है, क्या ऐसा हो सकता है कि आप टूलकिट को पूरी तरह ट्वीट न करें। क्या हम थोड़ी देर के लिए रुक सकते हैं। मैं वकीलों से बात करने वाली हूं। मुझे खेद है, लेकिन उस पर हमारे नाम हैं और हमारे खिलाफ यूएपीए के तहत कार्रवाई हो सकती है।” दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि दिशा ने कथित रूप से गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज होने के डर से यह अनुरोध किया था।
गौरतलब है कि, किसान आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए थनबर्ग ने एक भारत विरोधी दस्तावेज (टूलकिट) साझा किया था। इस दस्तावेज में ‘ट्विटर स्टॉर्म’ बनाने और भारतीय दूतावासों के बाहर विरोध प्रदर्शन करने सहित भारत की छवि खराब करने संंबंधी कई योजनाएं सूचीबद्ध की गई थीं, जो किसानों के विरोध प्रदर्शन का समर्थन करने के लिए बनाई गई थीं।