उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होनें कहा है कि मार्च में मेरे शासनकाल के दो वर्ष पूरे होंगे। मेरे अब तक के शासन में, कोई दंगा नहीं हुआ है।
मार्च में मेरे शासनकाल के दो वर्ष पूरे होंगे। मेरे अब तक के शासन में, कोई दंगा नहीं हुआ है।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) January 3, 2019
सीएम योगी ने ट्वीट करते हुए कहा कि मैंने उत्तर प्रदेश के बारे में लोगों की धारणा बदल दी है। दो साल पहले तक, लोग यूपी को ज्यादातर भ्रष्टाचार, विधिहीनता, अराजकता और दंगों के लिए जानते थे। सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि देश के बाहर भी लोगों के मन में यूपी को लेकर यही धारणा थी। हमने संगठित किस्म के अपराध पर एक हद तक काबू पा लिया है। हमने कानून के राज को मजबूत बनाया है। पारिवारिक झगड़े या निजी दुश्मनी के कुछ मामलों को छोड़ दें तो फिर पूरे प्रदेश में अब लोग सुरक्षित हैं।
हमने संगठित किस्म के अपराध पर एक हद तक काबू पा लिया है। हमने कानून के राज को मजबूत बनाया है। पारिवारिक झगड़े या निजी दुश्मनी के कुछ मामलों को छोड़ दें तो फिर पूरे प्रदेश में अब लोग सुरक्षित हैं।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) January 3, 2019
धारणा में आए बदलाव के कारण सूबे में निवेश आ रहा है। आज देश और दुनिया की तमाम जगहों से बड़े-बड़े उद्योगपति यूपी में निवेश करने को उत्सुक हैं। राज्य में 2 लाख करोड़ का निवेश आ चुका है जो अपने आप में अप्रत्याशित है।
धारणा में आए बदलाव के कारण सूबे में निवेश आ रहा है। आज देश और दुनिया की तमाम जगहों से बड़े-बड़े उद्योगपति यूपी में निवेश करने को उत्सुक हैं। राज्य में 2 लाख करोड़ का निवेश आ चुका है जो अपने आप में अप्रत्याशित है।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) January 3, 2019
संविधान में मेरी निष्ठा भारत के उन ऋषि-मुनियों की परंपरा का ही हिस्सा है जो किसी अन्य देश काल में सामाजिक व्यवस्था कायम करने के लिए स्मृतियों (सामाजिक आचार संहिता) की रचना कर रहे थे।
आजादी के बाद के दौर में भारतीय संविधान को देश ने अपने सबसे पवित्र संहिता के रूप में अपनाया और इस संहिता को अटूट विश्वास से अंगीकार किया। अतीत में हमारे ऋषियों ने मनुस्मृति सहित अनेक स्मृतियां बनाई थीं ताकि समाज को चेतना के विभिन्न धरातल पर संचालित किया जा सके।
संविधान में मेरी निष्ठा भारत के उन ऋषि-मुनियों की परंपरा का ही हिस्सा है जो किसी अन्य देश काल में सामाजिक व्यवस्था कायम करने के लिए स्मृतियों (सामाजिक आचार संहिता) की रचना कर रहे थे।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) January 3, 2019
गोरक्षपीठ के महंत की अपनी भूमिका को मैं मुख्यमंत्री के अपने संवैधानिक पद के असंगत नहीं मानता। मैंने अपनी राजनीति को सेवा से जोड़ा है और इसमें मुझे अध्यात्म का आनंद मिलता है।
आजादी के बाद के दौर में “भारतीय संविधान” को देश ने अपने सबसे पवित्र संहिता के रूप में अपनाया और इस संहिता को अटूट विश्वास से अंगीकार किया। अतीत में हमारे ऋषियों ने मनुस्मृति सहित अनेक स्मृतियां बनाई थीं ताकि समाज को चेतना के विभिन्न धरातल पर संचालित किया जा सके।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) January 3, 2019